PM Modi Birthday: चायवाले से PM बनने तक की कहानी, जानें कैसा रहा है पीएम मोदी का राजनीतिक सफर

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

PM Modi Birthday: आज पीएम मोदी आज अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. भारत के 15वें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पूरे विश्व के प्रसिद्ध नेताओं में गिने जाते हैं. साल 2014, 2019 और 2024 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, तीनों बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने देश को विकासशील देशों की अग्रिम पंक्ति में लाकर खड़ा किया.

वहीं, पीएम मोदी का कहना है कि देश वर्ष 2047 तक विकसित देशों में शामिल हो जाएगा. मोदी भारत के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने लालकिले से लगातार देश को 12 बार संबोधित किया है. आइए आपको बताते हैं, एक चायवाले के बेटे से प्रधानमंत्री बनने का सफर कितना मुश्किलों भरा रहा है.

बचपन, विवाह और शिक्षा

प्रधानमंत्री मोदी का जन्म 17 सितंबर, 1950 को गुजरात के एक छोटे टाउन वडनगर में हुआ था. पीएम मोदी अपने 6 भाई-बहनों में तीसरे स्थान पर थे. इनकी शादी 18 वर्ष की आयु में जसोदाबेन मोदी के साथ हो गई.

शादी के कुछ साल बाद ही पीएम मोदी ने अपना घर छोड़ दिया था. बता दें कि इनकी कोई संतान नहीं है. बचपन में इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. इनके पिता की रेलवे स्टेशन पर एक चाय की दुकान थी और इनकी माता जी गृहणी थीं. इनका बचपन बहुत संघर्षों भरा रहा है.

बताया जाता है कि पढ़ाई से समय बचने के बाद पीएम मोदी अपने भाईयों के साथ रेलवे स्टेशन पर चाय भी बेचते थे. लेकिन उन्होंने अपने बुद्धि और विवेक से सभी चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा वडनगर के भागवताचार्य नारायणाचार्य स्कूल से प्राप्त की. इस दौरान पीएम मोदी एनसीसी कैडेट का हिस्सा भी रहे. पीएम मोदी ने सन 1978 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में एवं उसके बाद अहमदाबाद में गुजरात यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. वहां उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातक एवं स्नातकोत्तर किया.

छात्र राजनीतिक करियर PM Modi Birthday

अपनी कॉलेज की पढ़ाई के बाद नरेंद्र मोदी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अहमदाबाद में शामिल हो गए. सन 1975-1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाये गये नेशनल इमरजेंसी के दौरान, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. जिसके कारण नरेंद्र मोदी को उस समय अंडरग्राउंड होने के लिए मजबूर होना पड़ा. उस दौरान मोदी गिरफ़्तारी से बचने के लिए वेश-भूसा बदल कर यात्रा किया करते थे. आपातकाल के विरोध में वे काफी सक्रीय थे.

उन्होंने उस समय सरकार का विरोध करने के लिए पर्चे के वितरण सहित कई तरह के काम किए. इससे उनका प्रबंधकीय, संगठनात्मक और लीडरशिप कौशल सामने आया. इसके बाद नरेंद्र मोदी राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में शामिल हो गये. बाद में नरेंद्र मोदी को आरएसएस में लिखने की जिम्मेदारी दी गई थी. 1985 में आरएसएस द्वारा मोदी ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की योजना बनाई. 1987 में नरेंद्र मोदी पूरी तरह से बीजेपी में शामिल हो गए.

शुरुआती राजनीतिक करियर 

1987 में नरेंद्र मोदी (PM Modi Birthday) भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद व्यवसायों, छोटे सरकारी एवं हिन्दू मूल्यों के निजीकरण को उन्होंने बढ़ावा दिया. इसी साल उन्हें पार्टी के गुजरात ब्रांच के महासचिव के रूप में चुना गया. 1990 में पीएम मोदी ने लाल कृष्ण आडवानी की अयोध्या रथ यात्रा के संचालन में मदद की. उसके बाद 1991-92 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा हुई.जिसमें उन्होंने सक्रीय भूमिका निभाई.

1995 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 121 सीटें जीतीं, जिससे गुजरात में पहली बार भाजपा की सरकार बनी. पार्टी थोड़ी समय के लिए ही सत्ता में रही. जो सितंबर 1996 में समाप्त हो गई. 1995 में नरेंद्र मोदी को हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में गतिविधियों को संभालने के लिए भाजपा का राष्ट्रीय सचिव बने. इसके बाद उन्हें नई दिल्ली भेज दिया गया. इसके बाद 1998-2001 तक मोदी ने महासचिव पद पर कार्य किया.

मुख्यमंत्री के रुप में नरेंद्र मोदी और गुजरात दंगा

नरेंद्र मोदी ने पहली बार सन 2001 में विधान सभा चुनाव लड़ा था. इसमें भाजपा राजकोट में 2 में से एक सीट जीती थी. इसके बाद मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बन गए. फिर बीजेपी की राष्ट्रीय लीडरशिप केशुभाई पटेल के हाथ से लेकर मोदी को सौंप दी गई थी. 7 अक्टूबर 2001 को नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया. इसके बाद फिर कभी नरेंद्र मोदी ने मुड़कर पीछे नहीं देखा.

उनकी एक के बाद एक जीत निश्चित होती चली गई. सबसे पहले उन्होंने 24 फरवरी 2002 में राजकोट के द्वितीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपचुनाव जीता. इस दौरान मोदी का नाम कई बार दंगों में भी जोड़ा गया. हालांकि, 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दिया.

प्रधानमंत्री के रुप में मोदी

बता दें, नरेंद्र मोदी चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने. इसके एक साल बाद जून में उन्हें भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बना दिया गया. इसके बाद वो 2014 में होने वाले आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बन कर सामने आए. इसके चलते मोदी को अपना गुजरात का मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा.

2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने वाराणसी और वडोदरा दोनों सीटों पर जीत हासिल की. भाजपा ने इन्हें आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया. इस चुनाव में मोदी ने पूरे देश में लगभग 437 चुनावी रैलियां की थीं. इसके बाद 2014 के आम चुनाव में बीजेपी की जीत एक ऐतिहासिक जीत बन गई थी. साल 2014 में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के आधार पर 534 में से 282 सीटें अपने नाम की और इस तरह से नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री के रूप में एक नया चेहरा बन गये.

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