Satellite service in India: भारत में जल्द ही सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस लॉन्च होने वाली है. सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस लॉन्च करने वाली कंपनियों में कई विदेशी प्लेयर्स भी शामिल हैं. इनमें एलन मस्क का स्टारलिंक, अमेजन कूयिपर और यूटेलसैट का वनवेब शामिल हैं, जिनमें एयरटेल की हिस्सेदारी है. ऐसे में सरकार ने सैटेलाइट सर्विस लॉन्चिंग से पहले बड़ी तैयारी कर ली है. राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र सरकार ने बड़ा निवेश करने का फैसला किया है.
मॉनिटरिंग फैसेलिटी होगा सेटअप
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार भारत द्वारा सैटेलाइट सर्विस की मॉनिटरिंग के लिए फैसिलिटी सेटअप करने का फैसला लिया गया है. इसके लिए 900 करोड़ रुपये से ज्यादा का इन्वेस्ट किया जाएगा. भारतीय सीमा में मौजूद देसी और विदेशी सैटेलाइट्स को इसके माध्यम से मॉनिटर किया जाएगा. यह फैसिलिटी लोकल और ग्लोबल ऑपरेशन्स की निगरानी के लिए सेटअप होगा.
तैयार किया जाएगा DCC
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार इसके लिए नई टेलीकॉम पॉलिसी में प्रावधान रखेगी, ताकि अगले पांच साल के रोडमैप को तैयार किया जा सके. इस मामले से संबंधित अधिकारी ने बताया कि इसके लिए डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन (DCC) तैयार किया जाएगा, जिसमें इंटर-मिनिस्ट्रियल पैनल होगा. दूरसंचार विभाग (DoT) ने इसके लिए पहले ही क्लियरेंस दे दिया है और इस फैसिलिटी के लिए 930 करोड़ रुपये के बजट को तैयार किया गया है.
नियमों को बनाया गया सख्त
यह फैसिलिटी ऑपरेशनल होने के बाद भारत में कम्युनिकेशन सर्विस प्रोवाइड करने वाले लोकल और विदेशी सैटेलाइट्स को मॉनिटर किया जाएगा. मॉनिटरिंग के अलावा सैटेलाइट सर्विस को बेहतर बनाने के लिए एक-दूसरे के साथ को-ओर्डिनेशन भी किया जाएगा. इस समय भारत में LEO यानी लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट के माध्यम से कम्युनिकेशन सर्विस लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है. यही नहीं, सैटेलाइट्स सर्विस शुरू करने से दूरसंचार विभाग ने पहले नियमों को और सख्त बना दिया है. अब सैटेलाइट सर्विस प्रोवाइडर्स को 30 से ज्यादा नए कम्प्लायंसेज को पूरा पड़ेगा.
सैटकॉम के क्षेत्र में भारत को लीडर बनाने की तैयारी में सरकार
देश की सुरक्षा के मद्देनजर एजेंसी को यह पूरा अधिकार होगा कि वो तय कर सकेंगे कि किस देश को भारत में सर्विस शुरू करने का गेटवे दिया जाएगा. सरकार सैटकॉम के क्षेत्र में भारत को लीडर बनाने की तैयारी में है. इसके लिए कई स्टार्ट-अप कंपनी को उतारने की प्रक्रिया होगी. इसके साथ ही, रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को आसान किया जाएगा, ताकि भारत में बेहतर सैटेलाइट मार्केट स्थापित किया जा सके.
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