DGMO के अलावा भारत-पाक के बीच नहीं हुई कोई बातचीत, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कांग्रेस के आरोपों को एस जयशंकर ने किया खारिज

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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S Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को भारत के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चल रहे विवाद को संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्टी के उन आरोपों का खंडन किया कि उन्होंने सैन्य हमलों से पहले पाकिस्तान को सूचित किया था.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को संसद में सलाहकार समिति की बैठक में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चल रहे विवाद को संबोधित किया. इस दौरान विदेश मंत्री ने कांग्रेस पार्टी के उन आरोपों का खंडन किया कि उन्होंने सैन्य हमलों से पहले पाकिस्तान को सूचित किया था. एस जयशंकर ने कांग्रेस के इन आरोपों को “बेईमानी” और “घटनाओं का गलत चित्रण” करार दिया, जबकि सांसदों द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों पर स्पष्टता प्रदान की.

बता दें कि सांसदों द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों में भारत पाकिस्‍तान के बीच शांति में संयुक्त राज्य अमेरिका की भूमिका, सिंधु जल संधि और ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित विवरण से संबंधित चिंताएं शामिल थीं.

भारतीय विदेशमंत्री ने किया स्‍पष्‍ट

बैठक में भारतीय विदेशमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की सैन्य कार्रवाई ने सटीक तरीके से आतंकी ढांचे को निशाना बनाकर पाकिस्तान के मनोबल को सफलतापूर्वक प्रभावित किया है. इसके अलावा, उन्‍होंने ये भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन पूरा होने के बाद, भारत के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) ने पाकिस्तान के DGMO को कार्रवाई के बारे में सूचित किया, न कि कार्रवाई शुरू होने से पहले, जैसा कि विपक्ष ने गलत तरीके से कहा था.

क्‍या है पूरा मामला?

बता दें कि यह विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जयशंकर पर सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार करने का आरोप लगाया कि भारत ने पाकिस्तान को ऑपरेशन के बारे में पहले ही सूचित कर दिया था. राहुल गांधी ने इस तरह की संवेदनशील जानकारी साझा करने से होने वाले संभावित नुकसान के बारे में चिंता जताई और सवाल किया कि इस संचार के कारण कितने भारतीय वायु सेना के विमान खो गए.

इतना ही नहीं, राहुल  गांधी ने एक वीडियो क्लिप का भी हवाला दिया जिसमें जयशंकर ने कथित तौर पर कहा कि ऑपरेशन की शुरुआत में हमने पाकिस्तान को एक संदेश भेजा था, जिसमें कहा गया था, ‘हम आतंकवादी ढांचे पर हमला कर रहे हैं और हम सेना पर हमला नहीं कर रहे हैं. सेना के पास इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करने और बाहर खड़े होने का विकल्प है.

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