देश के किसी भी कोने में दर्ज हो FIR, 3 साल के भीतर मिलकर रहेगा न्याय… बोले गृह मंत्री अमित शाह

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Amit Shah on Three Criminal Laws: तीन नए आपराधिक कानूनों के एक साल पूरे होने के मौके पर मंगलवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम को गृह मंत्री अमित शाह ने संबोधित किया. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘मैं सभी देशवासियों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि इन नए आपराधिक कानूनों को पूरी तरह से लागू होने में अधिकतम तीन साल का समय लगेगा. लेकिन मैं पूरे भरोसा के साथ कह सकता हूं कि इसके बाद देश के किसी भी कोने में आप एफआईआर दर्ज कराएं, आपको न्याय तीन साल के भीतर मिल जाएगा. सरकार यह सुनिश्चित करेगी.’

‘प्रणाली को लागू करने में अधिकतम लगेंगे 3 साल’

गृह मंत्री ने कहा कि ‘एक तरह से ये तीनों कानून आगामी दिनों में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह बदलने जा रहे हैं. हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली के सामने सबसे बड़ी समस्या न्याय प्राप्त करने की समय-सीमा का अभाव था. मैं भारत के सभी नागरिकों को आश्वस्त करता हूं कि इस प्रणाली को पूरी तरह लागू करने में अधिकतम तीन साल लगेंगे. लेकिन मैं पूरी दृढ़ता से कह सकता हूं कि उसके बाद देश के किसी भी कोने में एफआईआर दर्ज करें, आपको तीन साल के भीतर न्याय मिलेगा. यह सुनिश्चित किया जाएगा.’

1 जुलाई 2024 को लागू हुए तीन नए कानून

जानकारी दें कि पार्लियामेंट से दिसंबर 2023 में तीनों आपराधिक कानूनों भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम पारित हुए और इन्हें 1 जुलाई 2024 से पूरे देश में लागू किया. इन तीनों कानूनों ने भारतीय दंड संहिता, भारतीय न्याय संहिता और सीआरपीसी का स्थान लिया.

पुराने कानूनों में समयबद्ध न्याय की गारंटी नहीं थी

पुराने कानून भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और संवैधानिक जरूरतों के अनुरूप नहीं थे. वहीं नए कानून भारत के नागरिकों के अधिकारों, स्वतंत्रता और न्याय को प्राथमिकता देते हैं. पुराने कानूनों में समयबद्ध न्याय की गारंटी नहीं थी. मुकदमे सालों-साल चलते रहते थे. नए कानूनों में एफआईआर, चार्जशीट, सुनवाई और फैसले की समय-सीमा निर्धारित की गई है, ताकि त्वरित न्याय मिले. पुरानी व्यवस्था में डिजिटल साक्ष्य, वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑनलाइन शिकायतें, आदि का कोई साफ प्रावधान नहीं था. नए आपराधिक कानून इन आधुनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजिटलीकरण को बढ़ावा देते हैं.

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