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भारत आज विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन चुका है. श्वेत क्रांति-2 के अंतर्गत देशभर में 75 हजार से अधिक डेयरी समितियों की स्थापना कर लगभग 40 हजार डेयरी सहकारी संस्थाओं को सुदृढ़ किया गया है. उक्त बातें केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आईएमटी रोहतक में साबर डेयरी (अमूल) प्लांट का उद्घाटन करते हुए कही. उन्होंने आगे कहा, सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2029 तक देश के प्रत्येक गांव को सहकारिता आंदोलन से जोड़ा जाए. इस दौरान उन्होंने कहा कि डेयरी संयंत्रों के निर्माण में भी भारत आत्मनिर्भर बनेगा और दुनिया का सबसे आधुनिक डेयरी प्लांट भी भारत में होगा.
आज देश में 8 करोड़ किसान डेयरी क्षेत्र से जुड़े हैं
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने बताया कि आज देश में 8 करोड़ किसान डेयरी क्षेत्र से जुड़े हैं और दूध की उपलब्धता वर्ष 2014 में 124 ग्राम प्रति व्यक्ति से बढ़कर 471 ग्राम प्रतिदिन हो गई है. पिछले 11 वर्षों में देश में डेयरी क्षेत्र 70% की विकास दर के साथ वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ा है. वर्ष 2014 में 140 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता था, जो अब बढ़कर 249 मिलियन टन हो गया है, जबकि देसी गायों के दूध का उत्पादन 29 मिलियन टन से बढ़कर 50 मिलियन टन तक पहुंच गया है.
हरियाणा की समृद्धि में मील का पत्थर साबित होगा यह प्लांट
उन्होंने आगे कहा कि यह प्लांट हरियाणा की समृद्धि में मील का पत्थर साबित होगा. इस प्लांट में प्रतिदिन 150 मीट्रिक टन दही, 3 मीट्रिक टन छाछ, 10 मीट्रिक टन योगर्ट और 10 मीट्रिक टन मिठाई का उत्पादन होगा. उन्होंने बताया कि साबर डेयरी की शुरुआत गुजरात के साबरकांठा जिले में केवल तीन लोगों से हुई थी, जो अब देश और दुनिया में 85 हजार करोड़ रुपये के व्यापार में परिवर्तित हो चुकी है. इस प्लांट की क्षमता अगले एक वर्ष में दोगुनी की जाएगी और पूरे हरियाणा के प्रत्येक जिले को इसका लाभ मिलेगा.
पशुपालक किसानों को मिलेगा योजनाओं का फायदा
केंद्रीय मंत्री ने हरियाणा के पशुपालक किसानों को भरोसा दिलाया कि भ्रूण स्थानांतरण और लिंग निर्धारण योजना का लाभ सभी किसानों तक पहुंचेगा. उन्होंने मधुमक्खी पालन और जैविक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया. केंद्र सरकार ने पशुपालक किसानों के लिए तीन मुख्य लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिनमें पशु आहार, गोबर प्रबंधन और दूध उत्पादक पशुओं के अवशेषों का सर्कुलर शामिल है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन इस क्षेत्र में वरदान साबित हुआ है और एनिमल हसबेंडरी फंड की स्थापना से किसानों को अधिक सहायता मिलेगी. भविष्य में दूध और डेयरी उत्पाद विश्व बाजार में उपलब्ध होंगे और देश के किसान आत्मनिर्भर बनेंगे.