ब्राह्मण करता है संस्कार और संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन: डॉ. दिनेश शर्मा

Shivam
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Lucknow: भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ  दिनेश शर्मा ने जनपद संभल में भगवान परशुराम की शोभा यात्रा का शुभारंभ किया तत्पश्चात हजारों की संख्या में उपस्थित जन समूह के बीच भगवान परशुराम जी के भव्य प्रतिमा स्थापना पूजन में सम्मिलित हुए। उसके बाद मुख्य अतिथि के रूप में ब्राह्मण समाज की विशाल जन सभा में उपस्थित लोगों को ब्राह्मण की महत्वता को बताते हुए कहा कि वह संस्कार  और  संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन करते हुए  सभी को मिलाकर चलता है।
भगवान परशुराम भी सभी को एक साथ लेकर चलने वाले थे। लोगों में भ्रांति है कि उन्होंने जाति विशेष का नाश किया, लेकिन सच यह भी है कि भगवान परशुराम जी ने इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रियों को अभयदान और संरक्षण भी तो दिया था। बस इतना था कि शासकों द्वारा जनता पर किये जा रहे अत्याचार को भगवान परशुराम बर्दाश्त नहीं कर पाते थे। वह हमेशा शोषितों, पीड़ितों के साथ रहे। इसलिए यदि आज के परिप्रेक्ष्य में भगवान परशुराम को समझना है तो अगड़ा, पिछड़ा, शोषित, दलित सबको एक स्वर में भगवान परशुराम के जीवन व्रत को पढ़ना चाहिए और उनके दिखाए रास्ते पर चलना चाहिए।
हमें याद रखना चाहिए कि जब भगवान राम ने भगवान परशुराम के दिए धनुष को उठा लिया ओर प्रत्यंचा चढ़ा दी, तो उन्हें ज्ञात हो गया कि भगवान विष्णु का अवतार प्रभु श्री राम है और इसके बाद वह तपस्या को चले गए। यही ब्राह्मण का असल गुण है। दरअसल ब्राह्मण वह है जो बड़ों का सम्मान करे, संस्कार एवं संस्कृति को न भूले। अपने से कमजोर की सेवा को हमेशा तत्पर रहे। अपने धर्म और कर्मकांड देवी देवताओं का सम्मान करें भारतीय संस्कृति का प्रतिपादन करें वेद पुराण शास्त्रों का अध्ययन करें।
उन्होंने कहा कि अनेक विदेशी आक्रांता आए और यहां से धन-धान्य लूट ले गए, लेकिन जो एक चीज नष्ट नहीं कर पाए वह भी हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार. और वह इसलिए कि जब पुराने को शास्त्रों को विदेशी आक्रांताओं द्वारा जलाया गया तब ब्राह्मणों ने उसे कंठस्थ कर लिया और उनका पुनर लेखन किया।
ब्राह्मण को आज की तारीख में उसे सही रूप से प्रचारित-प्रसारित करना चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि ब्राह्मणों ने भूखे रहकर, छिपकर पांडुलिपियों का संरक्षण किया। ज्यादा दिन नहीं बीता है, जब ब्राह्मण अपने गांव में डॉक्टर, वैध, मार्गदर्शक, सलाहकार के अलावा शिक्षण का कार्य करते थे, झगड़ा होने पर उनका समाधान निकालते थे। गांव में यदि कोई सर्वगुण संपन्न कोई होता था तो वह ब्राह्मण ही थे। और इसी गुण के कारण लोग उन्हें ब्राह्मणदेवता भी कहते थे। इसलिए आज जब लोग सनातन समाज को गाली देने का काम करते हैं,और भगवान परशुराम जी को जाति विशेष का विरोधी बताने का काम करते हैं तो हमें यह बताने की जरूरत है कि भगवान परशुराम ने केवल आततायी शासको का नाश किया था, किसी जाति विशेष का नहीं। हमें इस अंतर को समझना होगा।
इस अवसर पर भाजपा नगर अध्यक्ष ललित मोहन शर्मा, जिला अध्यक्ष चौधरी हरेंद्र रिंकू जी, पूर्व सदस्य विधान परिषद परमेश्वर सैनी, नगर पालिका अध्यक्ष राजेश शंकर राजू, विभाग संयोजक प्रबुद्ध प्रकोष्ठ संजय शंखधर, परशुराम सेवा समिति के अध्यक्ष गौरव शर्मा, अभिनव शर्मा, माध्यमिक शिक्षा मंत्री जी की जनसंपर्क अधिकारी अनुज शर्मा, सुगंधा रावत, पूर्व विधायक राजू यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती यादव आदि उपस्थित रहे।
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