Ghazipur Literature Festival Day 2: भारत एक्सप्रेस के सीएमडी व एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने वाराणसी में आयोजित पूर्वांचल के सबसे बड़े साहित्यिक महोत्सव ‘गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल’ में संबोधन दिया. उन्होंने ‘जड़ों की ओर’ थीम पर केंद्रित सत्र में उन्होंने अपनी जिंदगी की अनकही कहानियां, बचपन की विद्रोहिता, किताबों का जादू और माता-पिता के संस्कारों का जिक्र कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया.
शेरपुर कला: ‘यह धरती मेरे खून में बसी है’
साहित्यिक सत्र में सीएमडी उपेंद्र राय (CMD Upendrra Rai) ने सबसे पहले अपने पैतृक गांव शेरपुर कला को याद किया. भावुक स्वर में वे बोले, “गाजीपुर पर मुझे गर्व है! यह धरती मेरे खून में बसी है.” उन्होंने कहा, “व्यवहार का असर सिर्फ शरीर पर नहीं, हमारी आत्मा पर भी होता है.”
‘आकाश और शब्द का रिश्ता बहुत गहरा’
‘गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल’ के दूसरे दिन सीएमडी उपेंद्र राय (CMD Upendrra Rai) ने मंच से श्रोताओं को संबोधित करते हुए गहरी बात कही – “आकाश और शब्द का गहरा रिश्ता है. शब्द आकाश की तरह अनंत हैं, लेकिन गहरी बात आसानी से समझ नहीं आती.”
‘संतान की सफलता में मां-बाप का हाथ’
उन्होंने माता-पिता की भूमिका पर जोर दिया. “संतान की सफलता में मां-बाप का हाथ होता है. मेरे माता-पिता ने मुझे अच्छे संस्कार दिए, मुझे उन पर भरोसा है. मैं सभी से सहज भाव से बात करता हूं – यही संस्कार है.”
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‘मुझे यात्रा करना पसंद, यात्रा आकर्षित करती हैं’
सीएमडी उपेंद्र राय ने खुलासा किया कि वे बचपन में विद्रोही थे. उन्होंने कहा, “मैंने कभी छोटा-बड़ा मौका नहीं छोड़ा. यात्राएं मुझे खींचती हैं. हर यात्रा नया सबक देती है.” किताबों को उन्होंने अपना गुरु बताया. “किताबों ने मेरे जीवन में गहरा प्रभाव डाला. एक किताब ने मुझे पत्रकार बनाया, दूसरी ने बेहतर इंसान बनने की सीख दी.”
उन्होंने युवाओं को संदेश दिया –“जड़ों को मत भूलो. सफलता ऊंचाई देती है, लेकिन जड़ें मजबूती देती हैं.”
कार्यक्रम में मौजूद साहित्यकारों, छात्रों और स्थानीय लोगों ने तालियों से उनका स्वागत किया. उनका पूरा संबोधन यूट्यूब पर उपलब्ध है –
► लिट फेस्ट का दूसरा दिन: https://youtu.be/QCu_axihPxw
► गांव की याद: https://youtu.be/9CJypJyj2ho
भारत एक्सप्रेस के सीएमडी व एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय (CMD Upendrra Rai) के शब्दों ने साबित किया – सफलता की चकाचौंध में भी जो जड़ों को थामे रहता है, वही सचमुच ऊंचा उड़ता है.
उत्तर प्रदेश में आयोजित इस तीन दिवसीय फेस्टिवल में देशभर के 50 से ज्यादा लेखक, कवि और विचारक शामिल हो रहे हैं. फेस्टिवल के आयोजक डॉ. अनिल सुलभ ने बताया कि थीम ‘जड़ों की ओर’ इसलिए चुनी गई ताकि नई पीढ़ी अपनी मिट्टी से जुड़े.