Lucknow: लखनऊ के सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक विस्तृत नीति-पत्र सौंपा, जिसमें राज्यभर के स्लॉटर हाउसों के लिए AI-आधारित Humane Monitoring System लागू करने तथा एक आधुनिक और पारदर्शी नियामक ढांचा तैयार करने का आग्रह किया गया है.
डॉ. सिंह ने मुख्यमंत्री जी के गौ-संरक्षण और करुणा-आधारित सुशासन के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “योगी जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने गौ-संरक्षण और पशु-कल्याण को राज्य नीति का मूल तत्व बना दिया है. अब आवश्यक है कि वधशालाओं के संचालन में पारदर्शिता, तकनीक और संवेदनशीलता को जोड़ा जाए— ताकि संविधान के अनुच्छेद 48 की भावना के अनुरूप वैज्ञानिक एवं मानवीय व्यवस्था सुनिश्चित हो सके.”
मुख्य चिंताएँ और तथ्य-
नीति-पत्र में वधशालाओं की निगरानी और मानवीय प्रक्रिया में गंभीर कमियों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है-
- NCRB (2019–22): देश में प्रतिवर्ष 20,000 से अधिक पशु-क्रूरता के मामले दर्ज.
- UP पशुपालन विभाग (2023): लगभग 260 लाइसेंस प्राप्त वधशालाओं में से केवल आधी में CCTV कार्यरत.
- AWBI (2020): मेरठ, मुरादाबाद और अलीगढ़ में गर्भवती भैंसों के वध की शिकायतें.
- World Animal Protection Index (2020): भारत “कमजोर प्रवर्तन” श्रेणी में दर्ज.
कैसे मदद करेगा AI –
डॉ. सिंह ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पशु-कल्याण और क्रूरता रोकथाम में ऐतिहासिक बदलाव ला सकती है. AI-सक्षम कैमरे रीयल-टाइम वीडियो फीड का विश्लेषण कर सकते हैं, जिससे गर्भवती या नवजात पशुओं की पहचान, stunning protocol का उल्लंघन या overcrowding जैसी गतिविधियाँ तुरंत चिन्हित की जा सकती हैं. यह प्रणाली स्वतः अलर्ट जनरेट कर जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग को सूचित करेगी, जिससे कार्रवाई क्रूरता घटने से पहले ही संभव हो सकेगी. उन्होंने कहा, “AI केवल तकनीक नहीं, बल्कि करुणा का माध्यम है। यह शासन को संवेदनशील और प्रभावी— दोनों बना सकता है.”
राज्य कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से एकीकरण
डॉ. सिंह ने प्रस्ताव किया कि उत्तर प्रदेश के सभी स्लॉटर हाउसों को सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार AI-सक्षम कैमरे लगाने के लिए निर्देशित किया जाए, और इन्हें राज्य कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से जोड़ा जाए. इससे सभी जिलों से प्राप्त रीयल-टाइम वीडियो फीड का केंद्रीकृत विश्लेषण और निगरानी संभव होगी, जिससे तत्काल अलर्ट, त्वरित कार्रवाई और बहु-विभागीय (पशुपालन, नगर विकास, पुलिस) समन्वय सुनिश्चित किया जा सकेगा. यह प्रणाली उत्तर प्रदेश को AI-आधारित Humane Governance Network वाला देश का पहला राज्य बना सकती है— जहाँ करुणा, तकनीक और पारदर्शिता एक साथ कार्य करें.
मुख्य नीति-सुझाव –
1. CCTV और AI-आधारित निगरानी अनिवार्य— सभी वधशालाओं में 24×7 रीयल-टाइम रिकॉर्डिंग और विश्लेषण.
2. गर्भवती और नवजात पशुओं के वध पर पूर्ण प्रतिबंध— नियम 6(4), Slaughter House Rules (2001) के अनुसार.
3. “UP Humane Slaughter Protocol 2025” लागू किया जाए — जिसमें पशु की फिटनेस सर्टिफिकेट, 24 घंटे का विश्राम और स्वच्छ व्यवस्था अनिवार्य हो.
4. Transparency Portal— लाइसेंस, निरीक्षण रिपोर्ट और शिकायत निवारण की सार्वजनिक जानकारी.
5. FSSAI व नगर निकायों का एकीकरण— केवल “Humane Compliance Certificate” वाली इकाइयों को लाइसेंस नवीनीकरण.
6. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण— सभी कर्मचारियों के लिए “Humane Handling Certificate” अनिवार्य.
प्रशासनिक कदमों का सुझाव-
- स्लॉटर हाउस सुधार हेतु अंतर-विभागीय टास्क फोर्स (2025–27) गठित की जाए.
- 90 दिनों में शासनादेश जारी कर AI + CCTV मॉनिटरिंग अनिवार्य बनाई जाए.
- ACS स्तर के नोडल अधिकारी को राज्य स्तरीय निगरानी का दायित्व दिया जाए.
- शीर्ष 10 वधशालाओं में 6 माह में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाए.
- बजट 2025–26 में AI प्रणाली और प्रशिक्षण के लिए विशेष अनुदान निर्धारित किया जाए.
वैश्विक उदाहरण –
नीति-पत्र में यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के उदाहरण दिए गए हैं, जहाँ वधशालाओं में CCTV, पशु-कल्याण अधिकारी और मानवीय प्रशिक्षण अनिवार्य हैं. डॉ. सिंह ने सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश में “Humane-Certified Meat – UP” लेबल लॉन्च किया जाए, जिससे राज्य की पहचान नैतिक शासन और वैश्विक मानकों के अनुरूप बने.
डॉ. राजेश्वर सिंह का वक्तव्य
“यह केवल आस्था या भोजन का विषय नहीं— यह करुणा और सभ्यता की परीक्षा है. यदि उत्तर प्रदेश AI-आधारित Humane Monitoring System को राज्य कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से जोड़े, तो यह विश्व स्तर पर ऐसा पहला मॉडल बनेगा जहाँ शासन, संवेदना और तकनीक एक साथ काम करते हैं.”

