Lucknow: सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने स्कूली शिक्षा में हिंदू पहचान को मिटाने के प्रयासों के विरुद्ध कड़ा विरोध जताते हुए इसे “हिंदू सभ्यता पर एक मौन युद्ध” करार दिया है। उन्होंने चेताया कि इतिहास को सत्य प्रकट करने के लिए नहीं, बल्कि उसे मिटाने के लिए दोबारा लिखा जा रहा है – मंदिरों का उल्लेख पाठ्यपुस्तकों से गायब है और आक्रमणकारियों को नायक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। “राम को मिथक बताया जाता है, अकबर को इतिहास! क्या यह शिक्षा है या वैचारिक ब्रेनवॉशिंग?” उन्होंने तीखे सवाल पूछे।
पाठ्यक्रम में बदलाव की सच्चाई:
डॉ. सिंह ने उल्लेख किया किस प्रकार:
• महाराणा प्रताप, राजा दाहिर, रानी दुर्गावती जैसे हिंदू नायकों को हाशिये पर रखा गया।
• भारतीय विज्ञान, दर्शन, मंदिर संस्कृति को पाठ्यक्रम से बाहर किया गया।
• राम और कृष्ण जैसे देवताओं को ‘मिथक’ कहकर नकारा गया, जबकि बाबर और अकबर को महिमामंडित किया गया। *“यह सिर्फ विकृति नहीं है – यह धर्म, पहचान और गौरव से कटाव है,”* उन्होंने कहा।
मोदी-योगी नेतृत्व में सांस्कृतिक पुनर्जागरण:
डॉ. सिंह ने भाजपा सरकार की उन पहलों की सराहना की जो भारत की सांस्कृतिक जड़ों को पुनर्स्थापित कर रही हैं:
• एनसीईआरटी की पुस्तकों में महाराज सुहेलदेव, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, और गुरु तेग बहादुर जैसे नायकों को शामिल किया गया।
• राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के माध्यम से भारतीय भाषाओं, आयुर्वेद, और मूल्य आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
• राम मंदिर, काशी विश्वनाथ धाम और चारधाम को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में पुनर्जीवित किया गया।
• योग, गीता और संस्कृत को सांस्कृतिक कूटनीति के माध्यम से विश्व मंच पर प्रतिष्ठा दिलाई गई।
पुनर्जागरण क्यों आवश्यक था:
डॉ. सिंह ने औपनिवेशिक – लेफ्टिस्ट विचारधाराओं की दशकों पुरानी गलतियों की आलोचना करते हुए कहा कि:
• भारतीय समाज की धार्मिक-सांस्कृतिक पहचान को खंडित किया।
• मंदिरों के विध्वंस, भक्ति आंदोलन और हिंदू विज्ञानों को उपेक्षित किया।
• चुनिंदा सेकुलरिज़्म के नाम पर आक्रांताओं को महिमामंडित किया और भारतीय ज्ञान परंपरा को दबाया।
जनजागरण का आह्वान:
डॉ. सिंह ने परिवारों से आह्वान किया कि वे इस सांस्कृतिक पुनर्जागरण के वाहक बनें –
• अपने घरों में रामायण, महाभारत और हिंदू महापुरुषों की जीवनी से युक्त पुस्तकालय बनाएं।
• त्योहारों, परंपराओं और पूजा-पद्धति को पुनर्जीवित करें, पक्षपाती पाठ्यपुस्तकों पर सवाल उठाएं।
• अपने बच्चों को भारत की सांस्कृतिक आत्मा से जोड़ें।
“हम टूटती कड़ी की अंतिम कड़ी न बनें — भारत की अग्नि को जीवित रखें।” – डॉ. राजेश्वर सिंह