UP: किसानों के लिए खुशखबरी, इतने रुपये प्रति कुंतल बढ़ा गन्ने का मूल्य, अब होगा ये दाम

Ved Prakash Sharma
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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UP: योगी सरकार ने गन्ना किसानों को बड़ी सौगात दी है. सरकार ने गन्ने के मूल्य में बढ़ोत्तरी की घोषणा की है. गन्ने के मूल्य में प्रति कुंतल 30 रुपये का इजाफा किया गया है. नई घोषणा के मुताबिक, अगेती प्रजाति के गन्ने का मूल्य 400 रुपये प्रति कुंतल तथा सामान्य प्रजाति के गन्ने का मूल्य 390 रुपये प्रति कुंतल किया गया है. प्रदेश सरकार के इस फैसले को गन्ना किसानों के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. यह घोषणा पेराई सत्र 2025-26 के लिए की गई है.

गन्ना मूल्य वृद्धि से किसानों को 3000 करोड़ रुपये का अतिरक्ति भुगतान किया जाएगा. योगी सरकार ने दावा किया है कि 2017 से अब तक चार बार गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है. बीते साढ़े 8 वर्षों में गन्ना किसानों को 2,90,225 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड भुगतान किया गया है. इसके पहले,  2007 से 2017 तक मात्र 1,47,346 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान किया गया था. पिछली सरकारों के 10 वर्षों की तुलना में योगी सरकार में 1,42,879 करोड़ रुपये अधिक भुगतान हुआ.

खत्म किए गए व्यापारियों-उद्यमियों को जेल भेजने वाले 13 नियम

इसके पहले मंगलवार को प्रदेश सरकार ने उद्योग और व्यापार जगत के लिए बड़ा कदम उठाते हुए “उत्तर प्रदेश सुगम व्यापार (प्रावधानों का संशोधन) अध्यादेश-2025” को मंजूरी दे दी है. सीएम योगी की अगुवाई में मंगलवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए पारित इस अध्यादेश के तहत राज्य में लागू 13 प्रमुख औद्योगिक व व्यापारिक अधिनियमों में लगभग 99 प्रतिशत आपराधिक प्रावधान समाप्त कर दिए गए हैं. अब अधिकांश मामलों में उद्यमियों और व्यापारियों को जेल भेजने की बजाय आर्थिक दंड और प्रशासनिक कार्रवाई की व्यवस्था लागू होगी.

यह कदम ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देगा और प्रदेश में निवेश का माहौल और अनुकूल बनेगा. इस अध्यादेश के तहत कई पुराने प्रावधान, जिनमें मामूली उल्लंघन पर भी कारावास का प्रावधान था, अब हटाए जा रहे हैं. छोटे-मोटे तकनीकी उल्लंघनों पर अब जुर्माना या चेतावनी दी जाएगी.

अध्यादेश के दायरे में आने वाले प्रमुख अधिनियमों में फैक्ट्री अधिनियम, दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स एक्ट, बोइलर अधिनियम और अनुबंध श्रमिक अधिनियम शामिल हैं. इन सभी में ऐसे प्रावधानों को संशोधित किया गया है, जो निवेशकों के लिए अनावश्यक बाधा पैदा करते थे.

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