Nainital: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने अपनी पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने में दोषी पाए गए वैक्सीन वैज्ञानिक आकाश यादव को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि और पांच साल की जेल की सजा पर रोक लगा दी है. अदालत ने पाया कि वैज्ञानिक आकाश यादव वैक्सीन के शोध और विकास में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं और सजा के कारण उनका काम रुक गया है. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि उनका शोध व्यापक रूप से समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
वैज्ञानिक की दोषसिद्धि को व्यापक जनहित में स्थगित किया
भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान आईआईटी खड़गपुर से पीएचडी की उपाधि प्राप्त आकाश यादव को राहत देते हुए न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने कहा कि वैज्ञानिक की दोषसिद्धि को व्यापक जनहित में स्थगित किया गया है. आकाश यादव पर उनकी पत्नी की मृत्यु के बाद दहेज निषेध अधिनियम के तहत आरोप लगाया गया था. उधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर की एक अदालत ने उन्हें दहेज के आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी पाया और पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई.
इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की
आकाश यादव ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की. पहले कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी और उनकी अपील लंबित रहने तक सजा के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी. बाद में यादव ने अपनी दोषसिद्धि पर भी रोक लगाने की अपील की और तर्क दिया कि वैक्सीन के विकास का महत्वपूर्ण काम जारी रखना उनके लिए आवश्यक है.
अपील का अंतिम निपटारा होने तक सजा का अमल स्थगित रहेगा
अदालत ने दोषसिद्धि के निलंबन और सजा के क्रियान्वयन से संबंधित विभिन्न कानूनी मिसालों का हवाला देते हुए यह आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि अपील का अंतिम निपटारा होने तक सजा का अमल स्थगित रहेगा. आकाश यादव जैव प्रोद्यौगिकी में पीएचडी हैं और एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक हैं. पिछले तीन सालों से वह अग्रणी वैक्सीन निर्माता कंपनी इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड में वरिष्ठ प्रबंधक के रूप में कार्य कर रहे हैं और जनस्वास्थ्य एवं राष्ट्रीय हित के लिए महत्वपूर्ण वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास में सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं.