PT Usha Birthday: गरीब से लेकर ‘उड़न परी’ बनने तक का सफर, जानें PT Usha कैसे बनी देश का गौरव

PT Usha Birthday: आपने बचपन में ये कहावत तो सुनी होगी कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती और बिना मेहनत किसी की कहानी साकार नहीं होती. ऐसी ही कहानी है इंडिया को ओलंपिक फाइनल तक पहुंचाने वाली महिला एथलीट पीटी उषा (PT Usha) की. पीटी उषा ने 50 और 60 के दशक में कई उपलब्धियां हासिल कर तिरंगे की शान बढ़ाई है. आपको बता दें कि पीटी उषा (PT Usha) आज (27 जून) को अपना 59वां जन्‍मदिन सेलीब्रेट कर रही है. आइए पीटी उषा के जन्‍मदिन पर जानते हैं उनके संघर्ष भरी जिन्‍दगी की कहानी…

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PT Usha Birthday

आपको बता दें कि केरल में कोजिकोड जिले के पय्योली गांव में जन्मी पीटी उषा का आज 59वां जन्मदिन है.

250 रुपये ने बदल दी थी PT Usha दुनिया

आपको बता दें कि पीटी उषा पहली बार लाइमलाइट में जब आई थी, तब उनकी उम्र महज 12 वर्ष थी. पीटी उषा खेल जगत में Payyoli Express के अलावा Queen of Indian Track And Field के नाम से भी जानी जाती है, ऐसा इसलिए क्योंकि पीटी उर्षा (PT Usha) ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया. लेकिन, बहुत ही कम लोग इस बारे में जानते हैं कि महज 250 रुपयों ने पीटी उषा (PT Usha) की जिंदगी बदल दी थी. उस समय 250 रुपये स्कॉलरशिप के तौर पर उन्हें मिले थे, उस समय वह रुपये ही बहुत होते थे.

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गरीब से लेकर उड़न परी बनने तक का सफर

वैसे तो पीटी उषा का जन्‍म गरीब परिवार में हुआ था, बता दें कि पीटी उषा को एथलीट बनने तक के सफर में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. वह देश की पहली और सबसे युवा महिला एथलीट बनी, जिन्होंने 1980 के मॉस्को ओलंपिक खेलों में भाग लिया था. पीटी उषा उस समय महज 26 वर्ष की थीं. उन्होंने साल 1981 में एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैंपियनशिप (Asian Track and Field Championship) में 400 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था. वहीं साल 1982 के एशियन गेम्स में पीटी उषा ने 100 और 200 मीटर की रेस में रजत पदक अपने नाम किया था. वे भारत की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्होंने ओलंपिक ट्रैक इवेंट के फाइनल में जगह बनाई थी.

जब PT Usha की हार को देख फैंस का टूट गया था दिल

साल 1984 में पीटी उषा (PT Usha) ने लॉस एंजेलेस ओलंपिक खेलों में महिलाओं की 400 मीटर की दौड़ का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, जिलमें साफ तो नहीं, लेकिन उनकी दौड़ की धुंधली झलक देखने को मिली थी. इस दौरान उनके फैंस के रोंगटे खड़े हो गए थे, लेकिन अंत में उन्हें चौथे स्थान पर देखकर सभी लोगों का दिल टूट जाता हैं.

भले ही उनको चौथा स्थान मिला हो, लेकिन देश के लिए वह एक नायिका थी. साल 1986 के बाद से पीटी उषा की जिन्‍दगी ने करवट ली और उन पर मेडल की बारिश हो गई. बता दें कि सिओल एशियाई खेलों में उन्‍होंने 4 गोल्ड मेडल जीते थे. ये मेडल पीटी उर्षा ने 200 मीटर, 400 मीटर और 1600 मीटर की रेस में जीते थे. वहीं 100 मीटर की रेस में पीटी उर्षा दूसरे नंबर पर रही. साल 1983 में उन्‍हे अर्जुन अवॉर्ड और साल 1985 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

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