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भगवान श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है श्रीमद्भागवत महापुराण: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, किसी स्थान विशेष और समय विशेष को पाकर किसी भी अनुष्ठान की महिमा बढ़ जाती है। समस्त अनुष्ठानों में श्रीमद्भागवत महापुराण का अनुष्ठान सबसे अधिक महिमा वाला है। जब...

सत्संग से जीवन को प्राप्त होती है गति: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, चार धाम यात्रा में  भारतवर्ष की महिमा का दर्शन-बद्रीनारायण की यात्रा पर जाते समय बीच में जय-विजय नामक दो पहाड़ो को पार करने में यात्रियों को अत्यन्त कष्ट होता...

केवल ईश्वर ही करते हैं निःस्वार्थ प्रेम: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, वेद भगवान् कहते हैं कि संसार में सब रिश्तेनाते स्वार्थ के हैं। सब स्वार्थ बस प्रीति करते हैं।निःस्वार्थ प्रेम तो केवल परम पिता ईश्वर ही करते हैं या ईश्वर...

साधक को अपने कर्तव्य का पालन करते हुए करना चाहिए भगवान का भजन: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जरा सी भूल हुई, स्कूटर फिसला, चक्का गलत घूमा कि दुर्घटना में व्यक्ति प्राण गंवा बैठा। एक ठोकर ही प्राण ले गई। काल हर समय व्यक्ति के संग है।...

वैराग्य जीवन के सार्थकता और सच्चाई का करता है दर्शन: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, वैराग्य ही एक ऐसा तत्त्व है जो पदार्थों का सही मूल्यांकन करवाकर उनके सही स्वरूप का दिग्दर्शन कराता है। ऐसे एक्स-रे मशीन शरीर के अंदर के दोष अथवा रोग...

वैराग्य की प्राप्ति से पहले जीवन की धारा को सात्विक बनाना है आवश्यक: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अब प्रश्न है कि वैराग्य का उदय कैसे हो? इसके लिये शास्त्रकारों ने सनातन धर्म के नियमों पर दृढ़ता से चलने का सुझाव दिया है। वैराग्य की प्राप्ति से...

जिस व्यक्ति का मन श्रीकृष्ण के चरणों में लोटपोट हो गया, वह उसका अंतिम जन्म होता है: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीशुकदेवजी ने कहा, परीक्षित चार दिन बीत गये, तुमने जल भी ग्रहण नहीं किया। परीक्षित जी ने निर्जला भागवत सप्ताह की कथा सुनी थी। शुकदेव जी ने कहा कि...

ईश्वर जिसको मिलना चाहता है, उसके अंदर पैदा कर देता है भक्ति का अंकुर: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, वेद में लिखा है, ईश्वर किसको मिलता है? ईश्वर जिसे मिलना चाहे उसी को ईश्वर मिलता है। ईश्वर जिसको मिलना चाहता है उसके अंदर भक्ति का अंकुर पैदा कर...

जब व्यक्ति चारों तरफ से असहाय हो जाये, तब उसे भगवान का करना चाहिए ध्यान: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रात्रि का पूर्ण अंधकार है, बेड़ियाँ, हथकड़ियां लगी हुई थीं। हाथ को हाथ दिखाई नहीं दे रहा था। महरानी श्रीदेवकीजी श्रीवसुदेवजी से कहती हैं, हमें भी कभी इन बेड़ियों,...

गृहस्थ जीवन में बना रहता है कोई-न-कोई तनाव: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गृहस्थ जीवन में तो कोई-न-कोई तनाव बना ही रहता है। गृहस्थ जीवन ऊंट की पीठ के समान है और भगवान का भजन इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक की...
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