ट्रंप को झटका और दुनिया को राहत? टैरिफ पॉलिसी पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल…

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Donald Trump : वर्तमान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के साथ वैश्विक व्यापार जगत में मची उथल-पुथल के बीच अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकती है. जानकारी देते हुए बता दें कि टैरिफ को लेकर हियरिंग में जजों ने ट्रंप की कानूनी अधिकारिता पर सवाल उठाए. इसके साथ ही कोर्ट का ये कड़कता रुख ट्रंप के सपोर्ट में नहीं देखा जा रहा है. लेकिन अब इस फैसले पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं.

5 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार इस मामले में 5 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई शुरू हुई और इसमें से ज्‍यादातर जजों ने ट्रंप के फैसले पर सवाल खड़े किए. बता दें कि इससे पहले निचली फेडरल कोर्ट ने टैरिफ को लेकर फैसला सुनाया था कि ट्रंप के पास अमेरिका के कई व्यापारिक साझेदारों से आयात पर टैरिफ लगाने और कनाडा, चीन और मैक्सिको के उत्पादों पर फेंटानिल टैरिफ लगाने का कानूनी अधिकार नहीं है. ऐसे में फेडरेल कोर्ट के फैसले के बाद ट्रंप सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.

छोटे व्यापारियों ने ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी को दी चुनौती

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट के फैसले के बाद ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी को छोटे व्यापारियों और 12 राज्यों के समूह ने चुनौती दी है. इतना ही नही बल्कि इसे लेकर तीन मुकदमे भी दर्ज हुए हैं. इस दौरान याचिकाओं में इस बात को आधार बनाया गया है कि टैरिफ लगाने से पहले ट्रंप ने इससे पड़ने वाले असर के बारे में नहीं सोचा और न ही स्थिति समझने की कोशिश की. साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि इस मामले को लेकर ट्रंप ने प्रशासन के साथ न भी कोई आधिकारिक बैठक नही की.

ट्रंप सरकार के टैरिफ के फैसले पर सवाल उठाए

इस मामले को लेकर मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि टैरिफ को लेकर करीब ढाई घंटे से ज्यादा कोर्ट में बहस चली और कोर्ट ने लगातार ट्रंप सरकार के टैरिफ के फैसले पर सवाल उठाए. ऐसे में जस्टिस सोनिया सोतोमयोर ने कहा कि ‘आप कहते हैं कि टैरिफ टैक्स नहीं हैं, लेकिन वास्तव में वे टैक्स ही हैं और ये भी कहा कि वे अमेरिकी नागरिकों से पैसा, राजस्व कमा रहे हैं.’

यह एक नियामक टैरिफ है, टैक्स नहीं- सॉयर

इसके साथ ही इस पर सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर का कहना है कि ‘इस मामले में मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता, यह एक नियामक टैरिफ है, टैक्स नहीं. उनका कहना है कि टैरिफ से राजस्व बढ़ता है लेकिन यह केवल आकस्मिक है.’ साथ ही जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने कहा कि ‘अगर मैं सही नहीं हूं तो मुझे सुधारें, लेकिन यह तर्क किसी भी देश के किसी भी उत्पाद पर, किसी भी मात्रा में, किसी भी अवधि के लिए टैरिफ लगाने की शक्ति के लिए दिया जा रहा है.’

अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने दी अपनी राय

प्राप्‍त जानकारी के दौरान जस्टिस रॉबर्ट्स की इस टिप्पणी के बाद अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने अपनी राय देते हुए कहा कि आईईईपीए राष्ट्रपति को इमरजेंसी की स्थिति के चलते आयात को विनियमित करने की इजाजत देता है. उनका कहना है कि ऐसे किसी दूसरे स्थान या इतिहास में किसी दूसरे समय का जिक्र कर सकते हैं, जहां आयात को विनियमित करना वाक्यांश का उपयोग टैरिफ लगाने का अधिकार देने के लिए किया गया हो?’

जानकारी देते हुए बता दें कि भले ही अभी तक कोर्ट की तरफ से आखिरी फैसला सामने नहीं आया है, लेकिन ट्रंप के टैरिफ वाले फैसले पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं.

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