भगवान श्रीकृष्ण भगवत गीता के माध्यम से संपूर्ण संसार के कल्याण मार्ग को करते हैं प्रशस्त: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अध्यात्म के मंदिर में यौवन में ही प्रवेश करना चाहिये। क्योंकि यौवन खिला हुआ गुलाब है, जीवन का बसंत है। वृद्धावस्था का मुरझाया हुआ गुलाब भगवान् को नहीं भेंट करना चाहिये। यौवन का खिला हुआ गुलाब प्रभु को समर्पित करने में ही सच्ची भक्ति है और सच्चा विवेक है।
दो नदियां जहां मिलती हैं उसको हम संगम कहते हैं, प्रयाग भी कहते हैं। भारत देश में ऐसे कई प्रयाग हैं। गंगा, यमुना, सरस्वती। त्रिवेणी संगम जहां होता है वहां प्रयाग होता है। भारतवर्ष में तीर्थराज प्रयाग है, देवप्रयाग है, नंदप्रयाग है, कर्णप्रयाग है ऐसे प्रयाग स्थल पर स्नान करने से पुण्य मिलता है। अपने जीवन में यौवन पर अध्यात्म का प्रयाग निर्माण करिये। शक्ति और समझ का जिसमें प्रयाग, संगम होगा ऐसे व्यक्ति योगी होंगे।
उनके पास बैठना प्रयाग में स्नान करने जैसा पुण्यशाली है। सबका जीवन प्रयाग बने ऐसी प्रभु से प्रार्थना है। दुकान को मंदिर की तरह चलाओ, मंदिर को दुकान की तरह नही नहीं तो पूरी धारणा बदल जाती है। मेरी दुकान में प्रभु विराजमान है। मैं ग्राहक के साथ कैसा व्यवहार करता हूं? मेरे ठाकुर देख रहे हैं। नीति पूर्वक व्यापार करें। दुकान को मंदिर की तरह चलाओगे तो आपका कल्याण होगा, मंदिर को दुकान की तरह चलने वाले का क्या होगा पता नहीं।
साधु बनने का अर्थ साधु चरित बनें।गृहस्थ साधु भी हो सकता है। आप वृत्ति और प्रवृत्ति से साधु बानो। गीता कर्तव्य बोध कराती है, गीता जागती है। गीता के गायक भगवान श्रीकृष्ण जगतगुरु हैं। भगवान श्रीकृष्ण भगवत गीता के माध्यम से संपूर्ण संसार के कल्याण मार्ग को प्रशस्त करते हैं। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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