Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री जामवंत जी की आज्ञा से भगवान के समस्त सैनिक पत्थर शिला लाकर देते हैं, नल-नील उस पर भगवान का नाम, राम नाम लिखते हैं और पत्थर तैरने लगता...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीरामचरितमानस में प्रभु श्रीराम ने नवधाभक्ति का उपदेश शबरी माँ के सनमुख किया। ईश्वर को पाने के ये नव रास्ते हैं। शबरी माँ ने इसी मार्ग से ईश्वर को पाया।...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, महाराज दशरथ भगवान का राज्याभिषेक करना चाहते थे। उन्होंने गुरुदेव वशिष्ठ से कहा- (भये राम सब विधि सब लायक।) मेरी वृद्धावस्था है। मैं राम जी को गादी देना चाहता...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, नगर दर्शन लीला में पूरे समय भगवान श्री राम के साथ जनकपुर के बच्चे रहे। भगवान के समीप रहने के लिए जीवन में बच्चों जैसी सरलता होना आवश्यक है।...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्री राम की बाललीला में जातकर्म संस्कार, नामकरण संस्कार, गृहनिष्कर्मण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, चूड़ाकरण संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, विद्या अध्ययन संस्कार का वर्णन किया गया। भारतीय संस्कृति में सोलह...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सगुनहिं अगुनहिं नहिं कछु भेदा। गावहिं मुनि पुरान बुद्ध वेदा ।। अगुन अरूप अलख अज जोई। भगत प्रेम बस सगुन सो होई ।। भगवान के अवतार का मुख्य कारण...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान शिव भगवती सती के साथ अगस्त ऋषि के आश्रम पर कथा सुनने गये, अगस्त ऋषि ने सम्पूर्ण श्री राम कथा सुनाया और भगवान शंकर ने महर्षि अगस्त को...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, योगी अपने मन को बलपूर्वक बस में करने का प्रयत्न करते हैं, परन्तु इससे वह पूरा बस में नहीं होता, बल्कि कभी-कभी तो बीच में दगा भी दे बैठता...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हमें निज धर्म पर चलना बताती रोज रामायण। सदा सदा शुभ आचरण करना सिखाती रोज रामायण।। किसी भी कार्य की सफलता के लिए तीन बातें आवश्यक हैं शुभ संकल्प,...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अनेक पाप करके पुत्र के लिए लाखों की सम्पत्ति इकट्ठा करने वाले बाप का अंतकाल में बेटा भी सहायक नहीं बन सकता। उस वक्त बाप के प्राण तो तीव्र...