Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्ति सर्वत्र सम्भव है। राह चलते, गाड़ी में प्रवास करते या दुकान में बैठकर व्यापार करते - सर्वकाल एवं सर्वत्र विराजने वाले परमात्मा की भक्ति तो चाहे जहां और...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवतमहापुराण वेदरूपी कल्पवृक्ष का पका हुआ फल है जिसमें गुठली, छिलका जैसा कुछ त्याज्य नहीं है, केवल रस ही रस है। अतः भक्तों को यह रस जीवन भर पीते...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।। प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी।। मनुष्य का जीवन भावना प्रधान है। आप अपने मन में जैसे विचार करेंगे वैसे ही आपका मन बनता जायेगा। आपके विचारों को कभी...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।।जीवनु मोर राम बिनु नाहीं।। कर्म बंधन नहीं कर्म फल की आसक्ति ही बंधन है और दुःख है। जैसे पुत्र पैदा हुआ, पुत्र मेरा है, मैंने पैदा किया है...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।।उठहु राम भंजहू भव चापा।। धनुष टूटना क्या है? अभिमान का टूटना ही धनुष का टूटना है। धनुष माने अभिमान, अहंकार। यह धनुष किसका है? भगवान शंकर का और...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।।उठहु राम भंजहू भव चापा।। धनुष टूटना क्या है? अभिमान का टूटना ही धनुष का टूटना है। धनुष माने अभिमान, अहंकार। यह धनुष किसका है? भगवान शंकर का और...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अम्बा पार्वती ने भगवान शंकर से प्रश्न किया " राम कवन प्रभु पूछौं तोही " परमात्मा निराकार हैं यह एक पक्ष है और परमात्मा साकार हैं यह दूसरा पक्ष...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, परमात्मा तर्क का विषय नहीं है। विज्ञान की कसौटी में ईश्वर को कसा नहीं जा सकता। नेत्र जिस दृष्टि का सहारा लेकर रूप को देखते हैं, वे नेत्र स्वयं...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मनुष्य शरीर की विशेषता सिर्फ इतनी ही है कि मनुष्य शरीर से परमात्मा का चिंतन हो सकता है। भगवान श्रीराधाकृष्ण, भगवान श्रीसीतारामजी का चिंतन हो सकता है। अगर हम...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ज्ञानी महापुरुष केवल मन्दिर में ही नहीं, बल्कि प्राणी मात्रा में प्रभु के दर्शन करते हैं। वे तो जड़ पदार्थ में भी परमात्मा की सत्ता का अनुभव कर सकते...