Divya morari bapu

अपने मन को यदि हम सुधारेंगे तो जगत में हमें कुछ भी दोष नहीं आयेगा नजर: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कंटकेनैव कंटकम्- भगवान शिव ने श्रीशिवमहापुराण में भगवती सती को ज्ञानोपदेश देते हुए कहा है कि यह जगत बुरा नहीं है, बल्कि इस जगत को देखने वाले का मन...

सबमें परमात्मा के दर्शन करने वाले की भक्ति होती है सार्थक: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्ति- जीवन में यदि भक्ति का विस्तार करना हो तो सभी से प्रेम करो और यदि ज्ञान बढ़ाना हो तो सभी का त्याग करो। सबके साथ प्रेम करके सबमें...

आज के व्यक्ति को अपने कर्तव्य का नहीं है पूर्ण रूपेण बोध: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, शब्द से अर्थ का बोध- आज के व्यक्ति को अपने कर्तव्य का पूर्ण रूपेण बोध नहीं है। हम लोग अपना क्या कर्तव्य है, इस बात को नहीं जानते। क्योंकि...

जिसके श्रवणमात्र से मनुष्य परमगति को प्राप्त कर लेता है वह है श्री शिवमहापुराण: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से परिपूर्ण है- श्रीशिवमहापुराण- शौनकादि ऋषियों ने सूत जी से प्रश्न किया, आप समस्त पुराणों  के ज्ञाता हैं। आपने समस्त पुराणों और धर्मशास्त्रों का अध्ययन...

भगवान श्रीकृष्ण का सभी के प्रति था अद्भुत सद्भाव: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् श्रीकृष्ण का सभी के प्रति अद्भुत सद्भाव था। अपने प्रति स्नेह भाव या सेवा भाव रखने वाले के प्रति उनका यह भाव रखना स्वाभाविक था, किन्तु उनके अन्तर...

माँ सुनीति के कहने पर ध्रुव ने वन में जाकर प्रभु को किया प्राप्त: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, उत्तानपाद के दो रानियां थीं। सुरुचि राजा की प्रिय रानी थी, जबकि सुनीति उपेक्षिता थी। एक दिन उत्तानपाद सुरुचि के पुत्र उत्तम को गोंद में लेकर बैठे थे। उसी...

जिसका जीवन दिव्य होता है, वही मृत्यु के पश्चात बनता है देवता: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जिसका जीवन दिव्य होता है, वही मृत्यु के पश्चात् देवता बनता है. अहंकार और ममता तो मानव को कुमार्ग पर ढकेलने की मन की चालाकी है. मन की इस...

प्राचीन काल में शिष्य को निःस्वार्थ भाव से दी जाती थी शिक्षा: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्राचीन काल में तो शिष्य को निःस्वार्थ भाव से ही शिक्षा दी जाती थी। नदी एवं वृक्ष के समान गुरुकुल के आचार्य बिना किसी अपेक्षा के विद्यादान करते थे,...

अहंकार और ममता के कारण ही होता है सुख और दुःख का अनुभव: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन की धूर्तता- सुख और दुःख का अनुभव अहंकार और ममता के कारण ही होता है। बिल्ली घर में आकर यदि चूहे को पकड़ ले जाती है तो मनुष्य...

आत्मा के स्वरूप में स्थिर रहने वाले को ही शाश्वत शांति और आनन्द का होता है अनुभव: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, व्यर्थ भटकन- आनन्द प्राप्त करने के लिए बाहर के साधनों में भटकने वाला आनन्द के बदले दुःख ही प्राप्त करता है। निर्मल आनन्द प्राप्त करने के लिए तो अन्दर...
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