Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् श्रीराम मां कैकेयी का आभार मानते हुए, मुक्ति का आनंद लेते हुए वन की ओर गये। पिता दीन्ह मोहि कानन राजू। जहँ सब भाँति मोर बड़ काजू।। तो...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, संसार में कर्मवश जीव को आना पड़ता है और संसार में करुणावश भगवान का अवतरण होता है। "विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार। निज इच्छा निर्मित तनु...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्रीकृष्ण आत्मा के अविनाशी स्वरूप को अपने सखा अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता में समझा रहे हैं। आत्मा जन्मती नहीं है और मरती भी नहीं है। जिस प्रकार सूर्य...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अर्थ का हेतु धर्म है, काम नहीं, और काम का हेतु अच्छा भोजन, अच्छे कपड़े, अच्छा बंगला सब चाहिए। लेकिन उसका हेतु क्या है? उसका हेतु यह है कि...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भारतीय संस्कृति में- सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम्, उपासना करने वाली संस्थाएं अपने समाज में हैं। यह तीनों हैं पत्रकार, कथाकार और कलाकार। पत्रकार सत्य का उपासक है, कथाकार शिव का...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कोई कितना ही बुद्धिमान क्यों न हो, किन्तु यदि अपनी बुद्धि का उपयोग वह दूसरों को गिराने के लिए करता है, तो शास्त्र की दृष्टि में वह मंदमति ही...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जिसका दृष्टि पर अंकुश नहीं है उसका मन पर भी अंकुश नहीं है। व्यवहार पर अंकुश नहीं है। उसका अन्तःकरण मालिन हो जायेगा। जिसकी आंख बिगड़ती है, उसकी मन,...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रभु को वंदन करने से, साष्टांग प्रणाम करने से, जीव के बंधन कटते हैं। सिर झुकाने का तात्पर्य है अपनी ज्ञानशक्ति, अपना बुद्धि विवेक, आपको समर्पित कर रहा हूं।...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ईश्वर व्यापक है। व्यापक है इसलिए उनका कहीं अभाव नहीं है। जो व्यापक है उसे ढूंढने की जरूरत नहीं है। सर्वदा है।श्रीमद्भागवतमहापुराण में भगवान व्यास कहते हैं कि- हरेक...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रावण जिसको हम असुर कहते हैं, राक्षस कहते हैं, वह भी वैर करके अपना उद्धार करा लेता है। हम रावण जितने पापी नहीं है, हम असुर, राक्षस नहीं हैं।...