Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् श्रीमद्भगवत गीता में कहते हैं कि काम, क्रोध, लोभ इन सबको हे अर्जुन, तू शत्रु समझ। यही सच्चे शत्रु हैं और इन शत्रुओं के साथ लड़ने की शक्ति...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, संयम जीवन कल्याण के लिए बहुत आवश्यक है। बलपूर्वक इंद्रियों को रोकने से कुंठाएं एवं विकृतियां होती हैं। अतः वासनाओं को उपासना के द्वारा परिवर्तित कर देना चाहिए। तपस्या...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पार्थ का अर्थ होता है पुरुषार्थ। योगेश्वर कृष्ण भगवान की कृपा का नाम है। भगवान उनकी ही मदद करते हैं जो दूसरों की मदद करते रहते हैं। हमारा जीवन...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, इस जीवन का नाम ही संघर्ष है। मनुष्य जन्मता है तभी से संघर्ष शुरू हो जाता है। अपने पैरों पर खड़े रहने के लिये, स्वाश्रयी बनने के लिये, वह...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीकृष्ण जगदगुरु हैं। इसलिए उनके उपदेश की बातें सारे जगत् के लिए हैं। भगवान् श्रीकृष्ण बहुत ऊंचाई से गीता के माध्यम से जगत को दिशा देते हुए नजर आते...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, परिवार एक मंदिर हो, जिसमें एकता के देव बैठे हों और उस एकत्व की आराधना में परिवार के सभी सदस्य लगे हुए हों। यह तब ही संभव है जब...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, धर्म वह नहीं है जो आपको बेहोश करे, धर्म वह है जो आपको होश में ले आये, जो आपको जागृत करे और जो होश में आ जाते हैं, जो...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, उपवास का अर्थ केवल अपने शरीर को आहार नहीं देना यह नहीं होता। उपवास का अर्थ है- उप माने समीप, वास माने बसना। आप सभी सत्य के समीप निरन्तर...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अतिशय देखि धर्म कै ग्लानी। परम सभीत धरा अकुलानी।। धरती पर मनुष्यों को लगने लगे कि अब हमारा कोई रखवाला नहीं है। सर्वत्र अंधकार दिखाई दे रहा है। अब...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मंत्र जप से और विशिष्ट प्रकार की धारणा से अपनी शक्ति का जागरण किस प्रकार होता है और वह कितना विलक्षण होता है। इसका वर्णन धर्म शास्त्रों में सर्वत्र...