एकता, समरसता प्रेम से ही होती है सिद्ध: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आज हम देखते हैं कि चारों ओर अशांति छाई हुई है। लोग कहते हैं कि घर में टीसेट है, सोफासेट है, टी-वी- सेट है, मगर रहने वाला खुद अपसेट है। शांति नहीं है, प्रेम नहीं है। प्रेम से ही यह विषमता मिट सकेगी। एकता, समरसता प्रेम से ही सिद्ध होती है। सिर्फ व्यवस्था से आप शायद समानता ला सकते हैं।
किन्तु समरसता सम्भव नहीं है। समरसता होने के लिए आस्था, प्रेम, भक्ति आवश्यक है। जैसी समरसता देह में है वैसी ही यदि देश में आये तो कितना सुंदर। यदि आपस में प्रेम हो तो पराया कौन? कोई भी अलग नहीं तो विरोध किसका? इसीलिए गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी महाराज श्रीरामचरितमानस में कहते हैं-
सीयराममय सब जग जानी।
करउँ  प्रणाम जोरि जुग पानी।।
प्रभु के लिये जो प्रेम है वही तो भक्ति है। यह प्रेम सबके लिये हो क्योंकि प्रभु तो प्रत्येक के हृदय में हैं। इसलिए भक्त सबकी वंदना करता है। वह किसी का भी विरोध नहीं करता। यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को अपशब्द बोलता है और घर में ठाकुर जी को भजता है तो यह भक्ति नहीं है। इस प्रकार कोई व्यक्ति यदि किसी दूसरे व्यक्ति को परेशान कर स्वयं माला घूमता है तो वह माला नहीं दिखावा है।
मनुष्य दुःखी है। उसके दुःखों का कारण पाप है और पाप का कारण वासना है। अज्ञान के कारण यह भटकता है। आशा सुख की  करता है। परन्तु कर्म ऐसे करता है परिणाम स्वरुप दुःखी होता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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