तुर्किए को सबक सिखाने की तैयारी में भारत, 23 साल बाद साइप्रस दौरे पर पीएम मोदी, पाकिस्तान को भी लगेगा झटका

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Pm Modi : तीन देशों के दौरे के लिए पीएम मोदी रविवार को रवाना हो गए. बता दें कि इस दौरे के पहले पड़ाव में पीएम मोदी साइप्रस पहुंचेंगे. जानकारी के मुताबिक 23 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला साइप्रस दौरा है. इस दौरान पीएम मोदी के इस दौरे को तुर्किये को संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, तुर्किये पर आरोप है कि साल 1974 से उसने साइप्रस के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा किया हुआ है. वहीं ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किये ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया था और पाकिस्तान को अटैक ड्रोन मुहैया कराए थे.

भारत और तुर्किये के संबंधों में खटास

पाकिस्‍तान के द्वारा किए गए आतंकी हमले को लेकर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किये ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया और भारत पर हमले के लिए पाकिस्तान को ड्रोन मुहैया कराए,  इस दौरान दोनों देशों के बीच भारत और तुर्किये के संबंधों में खटास आई है. दोनों देशों के बीच तनाव को देखते हुए माना जाता है कि तुर्किये और साइप्रस में दुश्मनी है और साल 1974 के बाद से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध भी नहीं हैं.

आज भी तुर्किये का साइप्रस पर कब्‍जा  

जानकारी के दौरान ग्रीस की सैन्य सरकार ने जुलाई 1974 को साइप्रस को ग्रीस में मिलाने की कोशिश की,  इस दौरान तुर्किये ने साइप्रस पर हमला करते हुए उत्तरी शहर काइनेरिया और  राजधानी निकोसिया के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया. इसी प्रकार साइप्रस के एक तिहाई हिस्से पर आज भी तुर्किये का कब्जा है. तुर्किये द्वारा साइप्रस पर हमले के दौरान संयुक्त राष्ट्र ने बफर जोन बनाकर युद्धविराम कराया. बता दें कि तुर्किये के कब्जे वाले इलाके को उत्तरी साइप्रस कहा जाता है. वहीं साइप्रस की सरकार उत्तरी साइप्रस को अपना हिस्सा मानती है और इसे लेकर दोनों देशों में तनाव है ऐसे में पीएम मोदी के साइप्रस के साथ संबंध बेहतर करने को तुर्किये के लिए सख्त संदेश के तौर पर देखा जा रहा है.

साइप्रस जाने वाले तीसरे भारतीय पीएम मोदी 

बता दें कि साइप्रस जाने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी होंगे. जानकारी के मुताबिक, सबसे पहले 1983 में इंदिरा गांधी और 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने इस देश का दौरा किया था. ऐसे में भारत और साइप्रस के कूटनीतिक रिश्ते हमेशा मजबूत रहे हैं, लेकिन इतने उच्चस्तरीय दौरे बहुत कम हुए हैं.

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