भारत के इंडस्ट्रियल गुड्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की 40% से कम कंपनियां वर्तमान में डेटा-ड्रिवन प्राइसिंग रणनीतियों को अपना रही हैं, जिससे इस क्षेत्र में भविष्य में विकास की बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं. यह जानकारी सोमवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की रिपोर्ट के अनुसार, एडवांस्ड एनालिटिक्स आधारित प्राइसिंग अपनाने वाली कंपनियां भारत के 750 अरब डॉलर के इंडस्ट्रियल गुड्स सेक्टर में महत्वपूर्ण अवसर पैदा कर सकती हैं. यह सेक्टर देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 13% का योगदान देता है, लेकिन पारंपरिक और आउटडेटेड प्राइसिंग मॉडल के कारण यह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पीछे रह रहा है.
डेटा-ड्रिवन प्राइसिंग में पिछड़ रही हैं भारतीय कंपनियां
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हाल के वर्षों में अधिक कंपनियां अपनी कीमतों को अधिक लचीले और बाजार के अनुरूप एडजस्ट कर रही हैं. अध्ययन के मुताबिक, लगभग 60% कंपनियां अभी भी ट्रेडिशनल कॉस्ट-प्लस और यूनिफॉर्म लिस्ट प्राइसिंग पर निर्भर हैं, जबकि केवल 40% से कम कंपनियां डेटा-ड्रिवन, कंज्यूमर-फोकस्ड या डील-स्पेसिफिक प्राइसिंग रणनीतियों को अपना रही हैं. दूसरी ओर, वैश्विक स्तर पर बड़ी कंपनियां एडवांस्ड एनालिटिक्स, रियल-टाइम इंटेलिजेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित इनसाइट्स और वैल्यू-बेस्ड प्राइसिंग रणनीतियों का तेजी से उपयोग कर रही हैं, जो उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान कर रही हैं.
बीसीजी में पार्टनर और डायरेक्टर- प्राइसिंग प्रैक्टिस के एपीएसी हेड किरण पुदी (Kiran Pudi) ने कहा, भारत के इंडस्ट्रियल गुड्स सेक्टर में मूल्य निर्धारण मुख्यतः एक बैक-ऑफिस कार्य बना हुआ है, जिसमें सीमित कार्यकारी स्वामित्व और यूनीफॉर्म लिस्ट प्राइसिंग पर निर्भरता बनी हुई है. वैश्विक प्रतिस्पर्धी कंपनियां विकास और मार्जिन को बढ़ाने के लिए एनालिटिक्स, रीयल-टाइम इंटेलिजेंस और वैल्यू-बेस्ड रणनीतियों द्वारा संचालित डायनैमिक प्राइसिंग निर्धारण की ओर रुख कर रही हैं. कंपनी ने कहा, इंडस्ट्री लीडर्स को प्राइसिंग को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ का एक सही स्रोत बनाने के लिए एडवांस्ड प्राइसिंग मॉडल्स, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और संगठनात्मक डिजाइन में निवेश बढ़ाने की जरूरत है. विश्लेषकों ने कहा है कि कैपिटल गुड्स और इंडस्ट्रियल इनपुट पर जीएसटी दर में कटौती से मैन्युफैक्चरिंग लागत में कमी आएगी.
सरकार के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत की इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) जुलाई में चार महीनों के उच्चतम स्तर 3.5% पर पहुंच गई है। यह तेजी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के मजबूत प्रदर्शन का परिणाम है. जून में इंडस्ट्रियल ग्रोथ रेट 1.5% था, जो जुलाई में तेजी से बढ़कर 3.5% हो गया है.