उत्तराखंड के लाल और मीठे सेब अब संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बाजारों में भी पहुंचने लगे हैं. पहली बार पौड़ी गढ़वाल से 1.2 मीट्रिक टन सेब की खेप युएई भेजी गई है. इसके अलावा, लगभग 8 मीट्रिक टन सेब की एक और बड़ी खेप समुद्री मार्ग से भेजने की तैयारी की जा रही है. वैश्विक व्यापार की चुनौतियों के बीच यह पहल एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है.
किंग रोट किस्म का हुआ निर्यात
अब तक सेब का निर्यात मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से होता रहा है, लेकिन अब उत्तराखंड भी इस सूची में तेजी से शामिल होता दिखाई दे रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, युएई को भेजी गई यह पहली खेप एक ट्रायल के तौर पर की गई है. इस ट्रायल से प्राप्त अनुभव और अध्ययन के आधार पर आने वाले समय में उत्तराखंड से सेब के निर्यात को और बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा.
हरसिल से भेजी जाएगी बड़ी खेप
अधिकारियों के मुताबिक, हरसिल से करीब 8,000 किलो सेब की खेप समुद्री मार्ग से युएई भेजने की योजना है. इससे स्थानीय किसानों को सीधा फायदा मिलेगा। खास बात यह है कि हरसिल में उगने वाले सेबों की शेल्फ लाइफ लंबी होती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक इन्हें सुरक्षित पहुंचाया जा सकता है.
कृषि निर्यात में उत्तराखंड की संभावनाएं
वाणिज्य विभाग के सचिव सुनील बर्थवाल ने उत्तराखंड की कृषि निर्यात क्षमता को लेकर कहा कि गढ़वाली सेब जैसे उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं तक पहुंचाना बेहद जरूरी है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राज्य से बासमती चावल, बाजरा, राजमा, मसाले, कीवी, आम, लीची और सब्जियों के निर्यात की भी असीम संभावनाएं मौजूद हैं.
आगामी सालों में दायरा बढ़ाने प्लान
यह परीक्षण शिपमेंट वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले एपीडा द्वारा सुगम बनाया गया था. एपीडा के मुताबिक, इस परीक्षण से मिले अनुभव कोल्ड चेन प्रबंधन, फसल के बाद की हैंडलिंग और लॉजिस्टिक्स को और बेहतर बनाने में मदद करेंगे. आने वाले वर्षों में दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप में भी निर्यात का विस्तार करने की योजना है.
एपीडा उत्तराखंड के खास उत्पादों के लिए जैविक प्रमाणीकरण और जीआई टैगिंग की सुविधा भी प्रदान कर रहा है, जिससे वैश्विक बाजारों में उनकी पहचान, पता लगाने की क्षमता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ सके. इसके अलावा, उद्योग की दिग्गज कंपनी लुलु ग्रुप के साथ भी एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इस ज्ञापन का उद्देश्य क्षेत्रीय उत्पादों को उनकी अंतरराष्ट्रीय खुदरा श्रृंखलाओं में निर्यात किया जा सके.
सेब उत्पादन और रकबे में पीछे
अब सेब उत्पादन और रकबे के मामले में उत्तराखंड जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से काफी पीछे है. जम्मू-कश्मीर में 1.67 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 17 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में 1.1 लाख हेक्टेयर में 6.4 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन होता है. इसकी तुलना में उत्तराखंड 26,000 हेक्टेयर क्षेत्र में केवल 65,000 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन करता है.