Islamabad: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में लगातार बच्चों से मजदूरी कराई जा रही है. यहां पांच से 17 साल की उम्र के करीब 13 लाख बच्चे बाल मजदूरी के जाल में फंसे हैं, जिनमें से 65 फीसदी कृषि क्षेत्र में काम कर रहे हैं. हालांकि, प्रांत में काम करने वाले बच्चों की संख्या 1996 में किए गए सर्वे के बाद से लगभग 50% कम हो गई है, तब यह 20.6% थी. एक सरकारी सर्वे में ये खुलासे हुए हैं.
सिंध चाइल्ड लेबर सर्वे 2023-2024 लॉन्च
पाकिस्तान के लेबर डिपार्टमेंट ने यूनिसेफ के साथ मिलकर सिंध चाइल्ड लेबर सर्वे 2023-2024 लॉन्च किया है. लेबर सेक्रेटरी असदुल्लाह एब्रो ने कहा कि सर्वे के नतीजे इस बात की साफ याद दिलाते हैं कि उन्हें भविष्य में क्या काम करना है. उन्होंने सिंध प्रोहिबिशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट ऑफ चिल्ड्रन एक्ट 2017 को मजबूत करने और इस समस्या की जड़ तक पहुंचने के लिए नीतियां बनाने पर बल दिया. सर्वे के अनुसार 13 लाख बच्चों में से लगभग दो-तिहाई बच्चे कृषि क्षेत्र में काम कर रहे थे. इसके बाद 12.4% मैन्युफैक्चरिंग में जबकि 10.8% होलसेलध्रिटेल ट्रेड में थे.
बाल श्रम को खत्म करने के लिए मजबूत नीतियां लागू करने के सबूत
लगभग 30 साल बाद किए गए इस पहले सर्वे ने बाल श्रम को खत्म करने के लिए मजबूत नीतियां लागू करने के सबूत दिए हैं, जिसमें सिंध प्रांत के 29 जिलों में बच्चों की शैक्षिक स्थितिए माहौल और काम की जिम्मेदारियों के बारे में डिटेल्स सामने आए हैं. सर्वे के मुताबिक पांच से 17 साल की उम्र के 10.3% बच्चे बाल श्रम में शामिल थे, जिसमें 13.7% लड़के और 6.6% लड़कियां थीं. इसमें पता चला कि 44.3 प्रतिशत माता-पिता अपने बच्चों को इसलिए काम करने देते हैं ताकि वे परिवार की इनकम बढ़ा सकें. जबकि बाल श्रम में फंसे 43.5 प्रतिशत बच्चों ने काम से जुड़ी थकान या चोट लगने की बात कही.
कराची साउथ (3%) में कम मामले आए सामने
सर्वे के अनुसार बाल श्रम सबसे ज्यादा सुजावल (35.1%) और थारपारकर (25.6%) में था, जबकि मलिर (2.7%) और कराची साउथ (3%) में कम मामले सामने आए. सर्वे से पता चला कि काम में लगे 10-17 साल के 50.4% बच्चों को खतरनाक स्थितियों का सामना करना पड़ता है. परिस्थितियां अनुकूल नहीं होतीं. भारी बोझ उठाना (29.8%) पड़ता है. बढ़े तापमान में काम करना (28.1%) पड़ता है और वर्क प्लेस पर दुर्व्यवहार (17.5%) का सामना करना पड़ता है.
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