Nobel Prize 2025: अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों को फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार, जानें किस भारतीय को मिल चुका है यह सम्मान?

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Stockholm: अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों को इस साल फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार मिला है. स्वीडन में मंगलवार को फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार की घोषणा हो गई. रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने दोपहर 3.15 बजे विजेताओं के नाम का ऐलान किया. इस साल फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार अमेरिका के जॉन क्लार्क, माइकल डेवोरेट, जॉन मार्टिनिस को मिला है. सर सीवी रमन पहले भारतीय थे, जिन्हें इस श्रेणी में पुरस्कृत किया गया. उन्हें ये सम्मान 1930 में दिया गया था.

क्वांटम मैकेनिज्म के प्रभावों को समझाया

पुरस्कार की घोषणा करते हुए क्वांटम मैकेनिज्म के प्रभावों को समझाया गया. इस वर्ष के नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने एक इलेक्ट्रिकल सर्किट के साथ प्रयोग किए, जिसमें उन्होंने एक ऐसी प्रणाली में क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और क्वांटाइज्ड एनर्जी लेवल दोनों का प्रदर्शन किया जो हाथ में पकड़ने लायक थी. ये खोज क्वांटम क्रिप्टोग्राफी, क्वांटम कंप्यूटर और क्वांटम सेंसर सहित क्वांटम तकनीक को और समझने में मदद करेगी.

इनके व्यवहार को कहा जाता है माइक्रोस्कोपिक

आमतौर पर क्वांटम मैकेनिक्स के नियम बहुत छोटे कणों (इलेक्ट्रॉन) पर लागू होते हैं. इनके व्यवहार को माइक्रोस्कोपिक कहा जाता है, क्योंकि ये इतने छोटे होते हैं कि सामान्य माइक्रोस्कोप से भी दिखाई नहीं देती. लेकिन अब इन वैज्ञानिकों ने पहली बार बिजली के सर्किट में “बड़े पैमाने” (मैक्रोस्कोपिक) पर क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा के स्तरों की खोज की है. नोबेलप्राइज डॉट ओआरजी के अनुसार 1901 से अब तक 118 वैज्ञानिकों को भौतिकी पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं.

सम्मान हासिल करने वाले सबसे उम्रदराज वैज्ञानिक थे आर्थर

इनमें सबसे कम उम्र के विजेता 25 साल के लॉरेंस ब्रैग (1915) थे तो 96 साल के आर्थर अश्किन (2018) ये सम्मान हासिल करने वाले सबसे उम्रदराज वैज्ञानिक थे. सर सीवी रमन पहले भारतीय थे जिन्हें इस श्रेणी में पुरस्कृत किया गया. उन्हें ये सम्मान 1930 में दिया गया था. उनकी खोज ने बताया था कि जब प्रकाश किसी पदार्थ से टकराता है तो उसका रंग बदल सकता है. इसे रमन इफेक्ट कहते हैं. यह खोज आज लेजर और मेडिकल तकनीकों में इस्तेमाल होती है.

जीवन और मृत्यु की खोज के लिए किया गया सम्मानित

वहीं दूसरे भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर थे. इन्हें 1983 में तारों (स्टार्स) के जीवन और मृत्यु की खोज के लिए सम्मानित किया गया. उन्होंने ही बताया कि बड़े तारे अंत में ब्लैक होल बन सकते हैं. 6 से 13 अक्टूबर के बीच विभिन्न श्रेणियों में नोबेल प्राइज दिए जाते हैं. 6 अक्टूबर 2025 को मेडिसिन के लिए मैरी ई. ब्रंकॉए फ्रेड राम्सडेल और शिमोन साकागुची को दिया गया है. इन्हें यह प्राइज पेरीफेरल इम्यून टॉलरेंस के क्षेत्र में किए गए रिसर्च के लिए दिया गया है. विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (10.3 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेंगे. अगर एक से ज्यादा वैज्ञानिक जीतते हैं तो यह प्राइज मनी उनके बीच बंट जाती है. पुरस्कार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में दिए जाएंगे.

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