चीन दौरे पर जाएंगे डोनाल्ड ट्रंप, शी जिनपिंग के साथ फोन पर हुई वार्ता को बताया ‘बहुत अच्छी’ बातचीत

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

America-china Relations: दुनियाभर में टैरिफ का बम फोड़ने के बाद अब अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप कुछ देशों अपने रिश्‍ते सुधारने में जुटें हुए है. पहले ट्रंप ने भारत पर लगे टैरिफ को घटाने की बात कही थी और अब वो चीन के साथ संबंधों में मधुरता लाने को लेकर योजना बना रहे है. इसी बीच डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निमंत्रण पर अप्रैल में चीन जाएंगे.

बता दें कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने खुद एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपने चीन दौरे की जानकारी दी है. वहीं, इससे पहले शी जिनपिंग के साथ फोन पर हुई बातचीत को ट्रंप ने बहुत अच्छा बताया था.

अमेरिका दौरे पर आएंगे चीन के राष्‍ट्रपति

ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर अपने पोस्ट में कहा कि बातचीत में यूक्रेन, रूस, फेंटानिल, सोयाबीन और अन्य खेती से जुड़े मुद्दों पर बात हुई. उन्होंने बताया कि किसानों के हित में दोनों देशों के बीच एक महत्त्वपूर्ण समझौता हुआ है और यह आगे और बेहतर होगा. साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा कि यह बातचीत तीन सप्ताह पहले दक्षिण कोरिया में हुई उनकी सफल मुलाकात के बाद हुई है और दोनों पक्ष हाल के समझौतों को लागू रखने में अच्छी प्रगति कर रहे हैं. उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगले वर्ष वे चीन के राष्ट्रपति का अमेरिका में स्वागत करेंगे.

शी जिनपिंग ने ताइवान को लेकर स्‍पष्‍ट कि‍या रूख

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शी जिनपिंग ने ताइवान पर चीन का स्पष्ट रुख दोहराया और कहा कि ताइवान का चीन में वापस आना “युद्ध के बाद के इंटरनेशनल ऑर्डर का एक ज़रूरी हिस्सा है.” साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा कि “चीन और अमेरिका ने द्वितीय विश्वयुद्ध में फासीवाद और सैन्यवाद के खिलाफ साथ मिलकर लड़ाई लड़ी थी, इसलिए दोनों देशों को युद्ध की जीत से जुड़े मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए.”

बता दें कि इन दिनों चीन और जापान के बीच ताइवान को लेकर कड़ा विवाद चल रहा है, जो ताइवान स्ट्रेट पर जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची के बयानों के बाद और बढ़ गया है. बातचीत में यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा हुई. शी ने कहा कि चीन हर उस प्रयास का समर्थन करता है जिससे शांति स्थापित हो सके. उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी संबंधित पक्ष आपसी मतभेद कम करेंगे और और “निष्पक्ष, स्थायी और बाध्यकारी शांति समझौते” की दिशा में काम करेंगे.

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