खामेनेई बोले-अफवाह फैला रहा है अमेरिका, तीसरे देश के जरिए ट्रंप को नहीं भेजा गया मैसेज, यह सरासर झूठ

Tehran: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद ने कहा है कि अफवाहें फैलाई जा रही है कि ईरानी सरकार ने किसी तीसरे देश के जरिए अमेरिका को मैसेज भेजा है. यह सरासर झूठ है. दरअसल, हाल ही में सऊदी क्राउन प्रिंस सलमान अमेरिका दौरे पर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात की थी. ट्रंप से मुलाकात के पहले क्राउन प्रिंस को ईरान की एक चिट्ठी मिली थी.

खामेनेई ने इन सभी दावों को बताया मनगढ़ंत

अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस चिट्ठी में अमेरिका के लिए एक मैसेज था. हालांकि ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने इन सभी दावों को मनगढ़ंत बताया है. खामेनेई ने गुरुवार रात को टीवी पर दिए गए संदेश में मीडिया के इन सभी दावों को खारिज कर दिया. अफवाह थी कि ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने सऊदी क्राउन प्रिंस को उनके यूएस दौरे से पहले जो मैसेज भेजा था. वह वॉशिंगटन के लिए था.

ईरान टकराव नहीं चाहता

इसी को लेकर ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कहा कि वे अफवाहें फैला रहे हैं कि ईरानी सरकार ने किसी तीसरे देश के जरिए अमेरिका को मैसेज भेजा है, जो सरासर झूठ है. रिपोर्ट्स के मुताबिक पेजेशकियन की चिट्ठी में कहा गया कि ईरान टकराव नहीं चाहता है. उसका मकसद क्षेत्रीय सहयोग को गहरा करना है और वह कूटनीति के जरिए न्यूक्लियर विवाद को सुलझाने के लिए तैयार है, बशर्ते उसके अधिकारों की गारंटी हो.

इजरायल के हमलों में अमेरिका के समर्थन की कड़ी आलोचना

खामेनेई ने अपने भाषण के दौरान इजरायल के हमलों और अपराधों में अमेरिका के समर्थन की कड़ी आलोचना की. ईरानी सुप्रीम ने अमेरिका पर अपनी रणनीति और रिसोर्स के फायदे के लिए झगड़ों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. दूसरी ओर ईरानी अधिकारियों ने पहले ही इस बात को साफ कर दिया था कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को जो चिट्ठी दी गई, वह सिर्फ द्विपक्षीय मुद्दों को लेकर थी.

इजरायल ने ईरान में कई जगहों पर अचानक कर दिए हमले

तेहरान और वॉशिंगटन ने इसी साल अप्रैल और जून के बीच ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और अमेरिकी बैन पर बातचीत की थी. दोनों पक्षों के बीच ओमान की मध्यस्थता में पांच राउंड की बातचीत हुई. इसके बाद छठे राउंड की बातचीत की उम्मीद की जा रही थी लेकिन उससे पहले ही इजरायल ने ईरान में कई जगहों पर अचानक हमले कर दिए. इस हमले में ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिक और सीनियर कमांडर मारे गए. इसके बाद ईरान ने मिसाइल और ड्रोन से जवाबी कार्रवाई की.

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