महासभा की चर्चा के केंद्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार, UNSC के महासचिव बोले- समिति गंभीरता से कर रही काम

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

 Antonio Guterres: यूएनएससी के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक संवाददाता सम्‍मेलन में बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार अब महासभा में चर्चा के केंद्र में है और सुधार प्रक्रिया में कुछ प्रगति हुई है. साथ ही उन्‍होंने अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) का भी जिक्र किया.

गुटेरेस ने कहा कि “पहले एक समिति थी, जो दस्तावेज जारी नहीं कर पाती थी और दस्तावेज एक साल से दूसरे साल तक आगे नहीं बढ़ पाते थे. अब एक समिति गंभीरता से काम कर रही है. ऐसे में मुझे लगता है कि इसमें प्रगति हो रही है.”

हालांकि, आईजीएन उस ‘निगोशिएटिंग टेक्स्ट’ को अपनाने में विफल रहा है, जिसे भारत ने चर्चा का आधार बनाने की मांग की थी, फिर भी इसके सह-अध्यक्षों ने ‘एलिमेंट पेपर्स’ तैयार किए हैं, जिनमें सुधारों पर विभिन्न देशों की स्थिति, मतभेद और कन्वर्जेंस के बिंदुओं को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया गया है और एक रिकॉर्ड बनाया गया है.

1945 की दुनिया के अनुरूप है सुरक्षा परिषद की संरचना

 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के महासचिव ने कहा कि “परिषद की वैधता और दक्षता इसके वर्तमान ढांचे से प्रभावित होती है. सुरक्षा परिषद की संरचना आज की दुनिया नहीं, बल्कि 1945 की दुनिया के अनुरूप है. इससे न केवल वैधता की समस्या पैदा होती है, बल्कि दक्षता की भी समस्या पैदा होती है.”

गुटेरेस ने खुद लिया इस बात का श्रेय

गुटेरेस ने परिषद सुधारों में बढ़ती रुचि का कुछ श्रेय लेते हुए कहा कि “यह अतीत में पूरी तरह से वर्जित था. एक बात मैं आपको बता सकता हूं कि मेरा मानना ​​है कि मैं पहला महासचिव हूं, जो हर समय सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता के बारे में बात करता है. कई देशों ने, उदाहरण के लिए पी5 (पांच स्थायी सदस्यों) ने भी यह स्वीकार किया है कि अफ्रीका को एक स्थायी सदस्य होने का अधिकार होना चाहिए. एक अन्य सुधार की आवश्यकता है, स्थायी सदस्यों की वीटो शक्तियों पर अंकुश लगाना.”

महासभा की चर्चाओं के केंद्र में ‘परिषद सुधार’

उन्होंने आगे कहा कि “सच्चाई यह है कि परिषद सुधार जो पहले पूरी तरह से वर्जित था, अब महासभा की चर्चाओं के केंद्र में है. फ्रांस और ब्रिटेन की ओर से वीटो के अधिकार को सीमित करने के प्रस्ताव आए थे, खासकर ऐसे हालात में जब मानवाधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हो रहा हो या इस तरह के मामले सामने आ रहे हों. मैं इस प्रस्ताव को सहानुभूति के साथ देखता हूं. ”

इसके अलावा गुटेरेस ने कई संघर्षों को सुलझाने में संयुक्त राष्ट्र की विफलता के लिए भू-राजनीति और स्थायी सदस्यों के दंड से मुक्त होकर काम करने के कारण परिषद की निष्क्रियता को जिम्मेदार ठहराया. उन्‍होंने कहा कि  संयुक्त राष्ट्र एक सुरक्षा परिषद है और भू-राजनीतिक विभाजन ने सुरक्षा परिषद को पंगु बना दिया है. दुनिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद की है.

निष्क्रियता दंड से मुक्ति का का स्रोत

उन्‍होंने कहा कि सुरक्षा परिषद की निष्क्रियता दंड से मुक्ति का एक स्रोत है, जो हमारे काम को कमजोर करती है. ऐसे में यह स्‍पष्‍ट करने की आवश्‍यकता है कि यह क्या है. यह संयुक्त राष्ट्र नहीं है. यह सदस्य देश हैं, जो विभाजित होकर संयुक्त राष्ट्र को ठीक से काम नहीं करने देते.”

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि “संघर्षों में शामिल पक्षों को शांति स्थापित करने के लिए हमारे पास न तो कोई प्रलोभन है और न ही कोई दंड. जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका के पास दोनों हैं और इसे संयुक्त राष्ट्र की विशेषज्ञता के साथ मिलाकर कुछ स्थितियों में शांति लाने में प्रभावी हो सकता है.”

इसे भी पढें:- अमेरिका हुआ बेनकाब! पाक के विदेश मंत्री ने कश्मीर पर मध्यस्थता के लिए आमंत्रित करने वाले ट्रंप के दावे का किया खंडन

Latest News

PM मोदी के जन्मदिन पर श्रीलंका की सबसे बड़ी मस्जिद में मांगी गईं विशेष दुआएं, महाबोधि सोसायटी भी करेगी बड़ा आयोजन

PM Modi Birthday Special: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन के अवसर पर श्रीलंका की राजधानी कोलंबो स्थित प्रसिद्ध...

More Articles Like This

Exit mobile version