Axiom 4 mission: निजी स्पेस कंपनी एक्सिओम के एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर (आईएसएस) गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला व उनके साथियो ने एक सप्ताह पूरा कर लिया है. ऐसे में बुधवार को काम से छुट्टी के दिन उन्होंने अपने परिवारजन से बात की. यह पल उनके लिए काफी खास था आंखों में आसू और चेहरे पर हंसी के साथ शुभांशु शुक्ला ने अपने परिवार को अंतरिक्ष से सूर्योदय का दृश्य दिखाया और साथ ही धरती का अद्भुत दृश्य भी साझा किया.
इसी बीच एक्सिओम स्पेस ने अपने आधिकारिक ब्लॉग में कहा कि एक्सिओम मिशन 4 (एक्स -4) चालक दल के कमांडर पैगी व्हिटसन, पायलट शुभांशु शुक्ला, मिशन विशेषज्ञ स्लावोज़ सुवे उज़्नानस्की-विस्नीवस्की और टिबोर कापू ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर एक पूरा सप्ताह बिता दिया है.
अंतरिक्ष यात्रियों ने पूरी की पृथ्वी की 113 परिक्रमा
उन्होंने बताया कि 26 जून को डॉकिंग के बाद से बुधवार के अंत तक अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी के चारों ओर लगभग 113 परिक्रमाएं पूरी कर चुके हैं. वहीं, बुधवार को सभी अंतरिक्षा यात्रियों ने ऑफ-ड्यूटी दिन का आनंद लिया. इससे उन्हें रिचार्ज करने और पृथ्वी पर परिवार और दोस्तों से जुड़ने का मौका मिला.
कंपनी के मुताबिक, केवल सात दिनों में अंतरिक्ष यात्रियों ने वैज्ञानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. दरअसल, पैगी अंतरिक्ष में ट्यूमर कोशिकाओं के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए माइक्रोग्रैविटी का उपयोग करके कैंसर अनुसंधान कर रही हैं, जो मेटास्टेटिक कैंसर के लिए नए चिकित्सीय लक्ष्य विकसित करने में मदद कर रहा है.
इन चीजों पर शोध कर रहें शुभांशु शुक्ला
वहीं, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला माइक्रोग्रैविटी के शैवाल पर विकास और आनुवंशिक व्यवहार पर शोध कर रहे हैं. वे इस चीज का पता लगा रहे है कि टार्डीग्रेड्स (एक तरह का छोटा जीव, जो कि चरम स्थितियों में भी खुद को सामान्य रख सकता है) अंतरिक्ष के खतरनाक माहौल में कौन से जीवाणु सुरक्षित रह सकते हैं. इसके अलावा वो इस चीज के बारे में भी शंध कर रहे है कि शून्य गुरुत्वाकर्षण में इंसानों में मांस कैसे कम होता है और इससे निपटा कैसे जा सकता है.
ध्वनि निगरानी उपकरण का परीक्षण
आमतौर पर लंबी अवधि के मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों को मसल एट्रोफी यानी मांस घटने की शिकायत आती है. जबकि सुवे अंतरिक्ष स्टेशन पर ध्वनि के स्तर को ट्रैक करने के तरीके को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किए गए पहनने योग्य ध्वनि निगरानी उपकरण का परीक्षण कर रहे हैं. यह तकनीक अंतरिक्ष यात्री के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती है और भविष्य के अंतरिक्ष यान के डिजाइन को सूचित कर सकती है. इसके साथ ही टिबोर हंगरी द्वारा विकसित डोसिमीटर के जरिए विकिरण के स्तर की भी निगरानी की जा रही है.
इसे भी पढें:-Chess: विश्व चैंपियन गुकेश ने नंबर-1 खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को दी मात, दर्ज की लगातार दूसरी जीत