Bangladesh elections: बांग्लादेश चुनाव में व्यापक हिंसा की आशंका, भारतीय एजेंसियों ने जताई चिंता

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Bangladesh elections: भयंकर वित्तीय संकट से जूझ रहा अब बांग्लादेश चुनाव के लिए तैयार है. ऐसे में अंतरिम सरकार के मुख्‍य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने विशेष अमेरिकी दूत सर्जियो गोर के साथ बैठक में यह आश्‍वासन दिया है कि चुनाव स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष होंगे. मुहम्‍मद यूनुस ने बताया कि चुनाव फरवरी 2026 में होंगे, जिसके बांग्‍लादेश पूरी तरह से तैयार है.

चुनाव को लेकर यूनुस ने भले ही गोर को आश्वस्त किया हो, लेकिन बांग्लादेश के राजनीतिक वर्ग और जनता में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.  भारतीय खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चुनावों से पहले व्यापक हिंसा की आशंका है क्योंकि कोई भी दल संचालन के तरीके को लेकर आश्वस्त नहीं है.

बीएनपी जीत सकती है चुनाव

उनका कहना है कि समस्या जमात-ए-इस्लामी से जुड़ी है. ऐसे संकेत हैं कि जमात चुनाव को नियंत्रित करेगी और यहां तक कि इसमें धांधली भी कर सकती है. अवामी लीग की अनुपस्थिति में जनमत सर्वेक्षणों का संकेत है कि बीएनपी चुनाव जीतेगी. हालांकि, इससे यह भी संकेत मिला कि बीएनपी के अपने दम पर सरकार बनाने की संभावना नहीं है और अगली सरकार बनाने के लिए उसे जमात के समर्थन की आवश्यकता पड़ सकती है.

नतीजों में हेराफेरी कर सकता है जमात

वहीं, जमात का समर्थन करने वाली आईएसआई चाहती है कि वह सरकार में वरिष्ठ भागीदार बने, और इससे लोगों के मन में इस बात को लेकर संदेह पैदा हो गया है कि चुनाव कितने निष्पक्ष होंगे, क्‍योंकि जमात को यूनुस का समर्थन प्राप्त है, और वे नतीजों में हेराफेरी करने की कोशिश कर सकते हैं. दरअसल जमात को लगता है कि वो चुनाव में हेराफेरी नहीं कर पाएगी, तो वह नवगठित नेशनल सिटिजन पार्टी के साथ मिलकर चुनावों को स्थगित करने और मौजूदा व्यवस्था को लागू रखने पर जोर दे सकती है. ऐसे में नेशनल सिटिजन पार्टी जमात का समर्थन करेगी क्योंकि उसके सदस्य जुलाई आंदोलन का हिस्सा थे जिसने शेख हसीना सरकार को गिराया था.

चुनावों की निष्पक्षता पर संदेह

हाल ही में हुए ढाका विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव के नतीजे भी कई लोगों के चुनावों को लेकर संशय की एक वजह हैं. जमात की छात्र शाखा, इस्लामी छात्र शिबिर ने भारी जीत हासिल की थी. ​​बीएनपी की छात्र शाखा, छात्र दल दूसरे स्थान पर रही, लेकिन उसे शिबिर के एक-तिहाई से भी कम वोट मिले. इससे चुनावों की निष्पक्षता पर संदेह पैदा हो गया.  बीएनपी ने शिबिर को बधाई दी, लेकिन चुनावों की पारदर्शिता पर सवाल उठाए. ये घटनाक्रम बांग्लादेश में लोगों की भावनाओं को साफ तौर पर दर्शाते हैं.

बांग्लादेश पर नजर रखने वालों का कहना है कि अवामी लीग के चुनाव से बाहर होने के बाद, बीएनपी की जीत की संभावना है. हालांकि, यह तभी संभव होगा जब चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होंगे.

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