New Delhi: मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्तों में तेज़ी से नज़दीकियां बढ़ी हैं जबकि भारत के साथ संबंधों में खटास आया है. इसी बीच भारत की खुफिया एजेंसियों ने खुलासा किया है कि बांग्लादेश चुनाव से पहले पाकिस्तान के साथ एक औपचारिक सैन्य समझौता करने की प्रक्रिया में है. यह समझौता उस मॉडल पर आधारित हो सकता है, जैसा पाकिस्तान ने पहले सऊदी अरब के साथ किया था.
परमाणु सहयोग का पहलू भी छिपा
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इस प्रस्तावित करार में परमाणु सहयोग का पहलू भी छिपा हो सकता है. माना जा रहा है कि बांग्लादेश में हिंसा भड़काकर चुनाव टालने की कोशिशें की जा रही हैं ताकि समझौते को लागू करने के लिए समय मिल सके. रिपोर्ट के मुताबिक ढाका भारत से दूरी बनाते हुए इस्लामाबाद के और करीब जा रहा है. भले ही इससे ISI को बांग्लादेश में कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देने का अवसर मिले.
एक संस्थागत ढांचे में बदल जाएगा सैन्य सहयोग
भारतीय एजेंसियों के अनुसार यदि यह समझौता अंतिम रूप लेता है तो दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग एक संस्थागत ढांचे में बदल जाएगा. इसके तहत संयुक्त सैन्य अभ्यास, खुफिया जानकारी साझा करना और रणनीतिक समन्वय शामिल होगा. पाकिस्तान पहले ही सऊदी अरब को परमाणु क्षमता से जुड़ी संभावित छूट का संकेत दे चुका है और अब ऐसी ही पेशकश बांग्लादेश को भी दिए जाने की आशंका है.
बांग्लादेश-पाकिस्तान के के बीच कई दौर की बातचीत
पिछले आठ महीनों में बांग्लादेश और पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है. थलसेना, नौसेना और वायुसेना के अधिकारी एक-दूसरे के देशों के दौरे कर चुके हैं. विशेष रूप से बांग्लादेशी सेना इस समझौते को लेकर काफी उत्साहित बताई जा रही है. सूत्रों के अनुसार शुरुआत में योजना थी कि अंतिम समझौता फरवरी में होने वाले संसदीय चुनावों के बाद किया जाएगा लेकिन अब इसे चुनाव से पहले ही अंतिम रूप देने की कोशिश हो रही है.
अटक सकता है यह समझौता
खुफिया एजेंसियों का मानना है कि यदि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) सत्ता में आई तो यह समझौता अटक सकता है क्योंकि BNP हाल के महीनों में भारत के प्रति नरम रुख दिखा रही है. एक अधिकारी के अनुसार यही वजह है कि बांग्लादेश में हिंसा भड़काकर चुनाव टालने की कोशिशें की जा रही हैं ताकि समझौते को लागू करने के लिए समय मिल सके. फिलहाल जनमत सर्वेक्षणों में BNP को मामूली बढ़त मिलती दिख रही है लेकिन ढाका और इस्लामाबाद दोनों चुनावी रुझानों पर करीबी नज़र बनाए हुए हैं.
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