दिल्ली हाईकोर्ट से तुर्किये की विमानन कंपनी सेलेबी को बड़ा झटका, सुरक्षा मंजूरी रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Celebi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को तुर्कीये की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सरकार द्वारा राष्‍ट्रीय सूरक्षा के हित में उसकी सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले को चुनौती दी गई थी. हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने 23 मई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसके बाद आज याचिका को खारिज कर दी गई है.

न्यायालय ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के कदम का समर्थन करते हुए कहा कि यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में लिया गया है. दरअसल, मई के महीने में तुर्की की विमान कंपनी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दलील दी कि हम एक भारतीय कंपनी हैं. हमारे कर्मचारी भारतीय हैं. कंपनी ने नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) द्वारा इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में इसकी सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले को चुनौती दी है.

कंपनी ने सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के कदम को बताया मनमाना

दरअसल, सेलेबी एविएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि कंपनी भारत में 17 वर्षों से बिना किसी दोष के काम कर रही है और सुरक्षा मंजूरी रद्द करने का कदम मनमाना और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है. साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है. हवाईअड्डा संचालकों के साथ मेरे अनुबंध रद्द किए जा रहे हैं. हालांकि, रोहतगी ने अपनी दलीलें कानूनी आधारों और सरकार के फैसले में प्रक्रियात्मक खामियों तक ही सीमित रखीं.

रोहतगी ने कानूनी ढांचे में बदलाव का दिया तर्क

विमानन सुरक्षा विनियमों के विकास का हवाला देते हुए रोहतगी ने तर्क दिया कि पहले के उदाहरणों की तुलना में कानूनी ढांचे में काफी बदलाव आया है. उन्‍होंने कहा कि “न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के फैसले में 1937 के विमान नियमों पर विचार किया गया था, जो अब लागू नहीं हैं. वहीं, साल 2011 में नए नियम बनाए गए थे और वर्तमान स्थिति नियम 12 द्वारा शासित है.

सामग्री न मिलने के कारण मैं विकलांग: रोहतगी  

इस दौरान रोहतगी ने इस बात पर भी जोर दिया कि नियम 12 के मुताबिक सुरक्षा मंजूरी रद्द करने जैसे किसी भी कठोर निर्णय से पहले सुनवाई अनिवार्य है. जहां भी ऐसे निर्णय लिए जाते हैं, वहां प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत लागू होते हैं. रोहतगी ने क‍हा कि मुझे नोटिस भी नहीं दिया गया, जबकि नियम कहता है कि मुझे नोटिस दिया जाना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि मैं कारणों की प्रति पर जोर नहीं दे रहा हूं. मैं ये कह रहा हूं कि मैं विकलांग था क्योंकि मुझे सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई थी.

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