China Nuclear missile: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच चीन बेहद खतरनाक हथियार बनाने में जुटा हुआ है, जिसकी जानकारी अमेरिका की खुफिया एजेंसी द्वारा दी गई है. अमेरिका की खुफिया एजेंसी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) ने 13 मई को एक चौंकाने वाली चेतावनी जारी की, जिसमें कहा कि आगामी 10 वर्षों में चीन अंतरिक्ष से परमाणु हमला करने में सक्षम मिसाइल सिस्टम (Fractional Orbital Bombardment System-FOBS) तैयार कर सकता है. चीन की यह तकनीकी भारत और अमेरिका समेत कई देशों के लिए गंभीर खतरा बन सकती है.
बता दें कि FOBS मिसाइलें इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) की तुलना में बेहद तेज होती हैं, जो अंतरिक्ष की निचली कक्षा से लॉन्च की जाती हैं. इसका मतलब कोई भी देश इन्हें समय रहते ट्रैक या इंटरसेप्ट नहीं कर सकता.
धरती के किसी भी हिस्से को बना सकते है निशाना
FOBS तकनीक को सबसे पहले सोवियत संघ ने विकसित किया था, लेकिन चीन ने हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) जैसी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ इसे और भी विध्वंसक बना दिया है. दरअसल, FOBS मिसाइल में हाइपरसोनिक स्पीड से चलने वाले हथियार होते हैं, जो धरती के किसी भी हिस्से को निशाना बना सकते हैं.
पारंपरिक हथियारों से लैस
चीन ने इस तकनीक को साल 2021 में लॉन्ग मार्च 2C रॉकेट के साथ टेस्ट भी किया था, जिसने वैश्विक स्तर पर हड़कंप मचा दिया. हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन (HGV) परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम होने के साथ ही पारंपरिक हथियारों से भी लैस हो सकते हैं. इसके अलावा, इनकी रफ्तार इतनी अधिक होती है कि आज के सबसे एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम भी इन्हें रोक नहीं सकता.
किसी भी दिशा में हमला करने में सक्षम
वहीं, पेंटागन द्वारा जारी चार्ट के मुताबिक, साल 2035 तक चीन के पास 60 FOBS मिसाइलें हो सकती हैं. 700 न्यूक्लियर ICBMs, 132 पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली मिसाइलें और 4000 हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन होंगे. FOBS की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यह किसी भी दिशा से हमला कर सकती है. अमेरिका की रडार प्रणाली मुख्यतः उत्तरी ध्रुव पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि FOBS दक्षिणी गोलार्ध से आ सकता है, जिससे यह पूरी तरह से अप्रत्याशित बन जाता है.
अमेरिका ने भी दी गोल्डेन डोम डिफेंस सिस्टम को मंजूरी
बता दें कि चीन के बाद अब रूस भी इस तकनीक को विकसित करने की दिशा में अग्रसर है. रूस और चीन को आगे बढ़ता देख अमेरिका ने भी गोल्डेन डोम मिसाइल डिफेंस शील्ड को मंजूरी दी है. यह दुनिया का अब तक का सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम होगा. इस प्रोजेक्ट पर प्रारंभिक चरण में 25 अरब डॉलर और कुल मिलाकर 100 अरब डॉलर से अधिक खर्च होने की उम्मीद है. इसमें एलन मस्क की कंपनी SpaceX समेत कई अमेरिकी डिफेंस कंपनियां शामिल हैं.
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