क्या ट्रंप को सता रहा पुतिन-जिनपिंग से डर? आखिर 33 साल बाद न्यूक्लियर टेस्ट का क्यों लिया फैसला

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China Russia Tension : वर्तमान समय में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने रक्षा मंत्रालय पेंटागन को तुरंत परमाणु हथियारों की टेस्टिंग शुरू करने का आदेश दिया है. ऐसे में सोशल मीडिया के एक्‍स प्‍लेटफॉर्म पर ट्रंप ने पोस्‍ट करते हुए लिखा कि अमेरिका को रूस और चीन के बराबर स्तर पर परमाणु परीक्षण करने की जरूरत है.

इस दौरान डोनाल्‍ड ट्रंप का कहना है कि “दूसरे देशों की टेस्टिंग को देखते हुए मैंने डिपार्टमेंट ऑफ वॉर को निर्देश दिया है कि जल्‍द से जल्‍द अमेरिका अपने परीक्षण जल्द शुरू करे.” जानकारी देते हुए बता दें कि आखिरी बार अमेरिका ने 23 सितंबर 1992 को नेवादा में परमाणु परीक्षण किया था और इसी के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश ने भूमिगत परमाणु परीक्षणों पर रोक लगा दी थी.

ट्रंप के आदेश को लेकर उठे सवाल

बता दें कि उनके इस आदेश को लेकर बड़े सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इसके सिर्फ एक दिन पहले उन्होंने दक्षिण कोरिया में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी. इसके साथ ही कुछ ही समय पहले अपने परमाणु हथियारों की टेस्टिंग की है. ऐसे में ट्रंप का यह निर्णय वैश्विक तनाव के माहौल में आया है.

ट्रंप का दावा

इस मामले को लेकर ट्रंप ने दावा करते हुए कहा कि अमेरिका के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं, लेकिन मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि रूस के पास लगभग 5,500 परमाणु वारहेड हैं, जबकि अमेरिका के पास करीब 5,044 हैं.

रूस ने (ICBM) मिसाइल का किया परीक्षण

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार कुछ ही समय पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हमले की तैयारी के अभ्यास का आदेश दिया था. रूसी सेना ने इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) यार्स और सिनेवा मिसाइल का परीक्षण किया, इसके साथ ही टीयू-95 बमवर्षक विमान से लंबी दूरी की क्रूज़ मिसाइल भी दागी. जानकारी देते हुए बता दें कि ट्रंप के परमाणु परीक्षण के आदेश से वैश्विक स्तर पर हड़कंप मच गया है. ऐसे में विशेषज्ञों ने कहा कि यह कदम वैश्विक निरस्त्रीकरण प्रयासों को कमजोर कर सकता है.

अमेरिका का परीक्षण, हथियारों की नई दौड़

जानकारी के मुताबिक, IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) ने चेतावनी दी और कहा कि अगर अमेरिका का एक बार फिर परीक्षण शुरू करना मतलब हथियारों की नई दौड़ को जन्म देना. इस मामले को लेकर अमेरिकी सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन ने कहा कि “ट्रंप परमाणु हथियारों को खिलौना बना रहे हैं.” माना जा रहा है कि अमेरिका का यह कदम रूस और चीन के बढ़ते परमाणु प्रभाव के जवाब में है, लेकिन उनके ऐसा करने से अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता को बड़ा झटका लग सकता है.

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