जंग के बेहद करीब चीन और ताइवान? हवाई और समुद्री शक्ति बढ़ा रहा ताइपे, ब्लैक टाइड समुद्री ड्रोन का किया प्रदर्शन

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

China Taiwan conflict: एक ओर जहां ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष जारी है, वहीं दूसरी ओर चीन और ताइवान के बीच भी तनाव बढ़ता जा रहा है. दरअसल, बीजिंग द्वारा द्वीप पर सैन्य दबाव बनाए रखने के कारण ताइवान सरकार भी अब अपनी हवाई और समुद्री शक्ति बढ़ा रही है. हाल में उसने ड्रोनों में निवेश बढ़ाया है, ये ड्रोन 80 किलोमीटर प्रति घंटा से भी अधिक तेज रफ्तार से चल सकता. बता दें कि इन्‍ही ड्रोनों का इस्‍तेमाल यूक्रेन ने रूस के पारंपरिक भारी हथियारों को मात देने के लिए किया था.

दरअसल, चीन लंबे समय से दावा करता आ रहा है कि ताइवान उसका हिस्सा है और उसने उसे अपने नियंत्रण में लाने के लिए वो बल का प्रयोग भी कर सकता है. वहीं, ताइपे के दक्षिण-पूर्व में यिलान में सरकार के राष्ट्रीय चुंग-शान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा आयोजित मानवरहित समुद्री वाहन (U.S.V) प्रदर्शन में बारह स्थानीय और विदेशी कंपनियों ने हिस्सा लिया. इस प्रदर्शनी में तरह-तरह के समुद्री ड्रोनों को दिखाए गए हैं.

चीन और ताइवान संघर्ष के करीब

इसी बीच प्रौद्यौगिकी संस्थान ने अपने एक बयान में कहा कि यह सैन्य और तट रक्षक जैसे संभावित ग्राहकों” के लिए भविष्य में बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए ड्रोन निर्माताओं से डेटा एकत्र करने का एक अवसर था. इस दौरान ताइवानी जहाज निर्माता लुंगटेह का ब्लैक टाइड समुद्री ड्रोन प्रदर्शनी में आकर्षण का केद्र बना रहा, बता दे कि इस समुद्री ड्रोन को जंग के मैदान में वातावरण में संचालन के लिए डिजाइन किया गया है.

ताइवान की इन तैयारियों के देख लग रहा है कि वो चीन की धमकियों के जवाब देने की तैयारी कर रहा है और दोनों देश संघर्ष के करीब हैं. दरअसल सूत्रों के मुताबि‍क, ब्लैक टाइड का इस्तेमाल खुफिया जानकारी, निगरानी, टोही और ‘एकतरफा हमले’ के लिए किया जा सकता है.

ताइवान के राष्‍ट्रपति ने लिया ये संकल्‍प

इस ड्रोन को बनाने वाली कंपनी के निदेशक स्टेसी यू ने कहा प्रदर्शनी में कार्बन-बेस्ड टेक्नोलॉजी इंक का स्टील्थ USV बम ले जा सकता है और सुसाइड मिशनों को अंजाम देने के लिए काफी सस्ता है. बता दें कि ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने ड्रोन उत्पादन के मामले में देश को ‘एशियाई केंद्र’ बनाने का संकल्प लिया है.

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