इटली में महिलाओं की हत्या के मामले में अब होगी उम्रकैद, नए क्रिमिनल लॉ को सदन से मिली मंजूरी

Italy: इटली में महिलाओं की हत्या के मामले में अब उम्रकैद की सजा होगी. प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध पर लगाम लगाने के लिए यह सख्त कदम उठाया है. देश के सदन ने मंगलवार को इस कानून को मंजूरी दे दी. जिसके तहत महिलाओं की हत्या को क्रिमिनल लॉ में शामिल किया गया है. इटली की संसद ने महिलाओं की हत्या यानी कि फेमिसाइड के मामले में उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया है.

सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों का मिला समर्थन

सबसे खास बात यह है कि इस कानून को इटली के सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों का समर्थन मिला है. कुल 237 वोटों के साथ इसे पास कराया गया. बता दें कि इटली की स्टैटिस्टिक्स एजेंसी आईस्टेट ने 2024 में 106 फेमिसाइड के मामले रिकॉर्ड किए. इनमें से 62 मामले ऐसे थे, जिन्हें महिलाओं के पार्टनर या एक्स-पार्टनर ने अंजाम दिए थे. UN जनरल असेंबली महिलाओं के खिलाफ हिंसा खत्म करने के लिए इंटरनेशनल डे मनाता है.

महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए फैसला

इस मौके पर इटली की संसद में महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए यह फैसला लिया. जॉर्जिया मेलोनी की कंजर्वेटिव सरकार के समर्थन से बने इस कानून में इटली में महिलाओं को टारगेट करके की गई हत्याओं और दूसरी हिंसा की घटनाओं को ध्यान में रखा गया है. इस कानून में किसी महिला का पीछा करना और रिवेंज पोर्न जैसे जेंडर आधारित अपराध के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए हैं.

ये आगे बढ़ने के लिए ठोस कदम

इसे लेकर इटली की PM जॉर्जिया मेलोनी ने कहा कि हमने एंटी-वायलेंस सेंटर और शेल्टर के लिए फंडिंग दोगुनी कर दी है. एक आपातकालीन हॉटलाइन को बढ़ावा दिया है और नई शिक्षा और अवेयरनेस बढ़ाने वाली एक्टिविटी शुरू की हैं. ये आगे बढ़ने के लिए ठोस कदम हैं लेकिन हम यहीं नहीं रुकेंगे. हमें हर दिन और भी बहुत कुछ करते रहना होगा.

इटली की संसद में विपक्षी दलों ने इस कानून का किया समर्थन

2023 में यूनिवर्सिटी स्टूडेंट गिउलिया सेचेटिन की हत्या और इटली की पुरुष-प्रधान संस्कृति में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कारणों के बारे में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विरोध और बहस समेत अन्य हाई-प्रोफाइल मामले इस कानून के लिए अहम रहे हैं. इटली की संसद में विपक्षी दलों ने इस कानून का समर्थन किया लेकिन इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार का तरीका सिर्फ समस्या के आपराधिक पहलू से निपटने के लिए है जबकि आर्थिक और सांस्कृतिक मतभेदों को अनदेखा कर दिया गया है.

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