Washington: अमेरिका में बच्चों के कैंसर के इलाज और शोध की गति को तेज करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI के उपयोग को अनिवार्य कर दिया गया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस गंभीर बीमारी से प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए यह कदम उठाया है. ट्रंप ने एक महत्वपूर्ण कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करके बाल कैंसर अनुसंधान को एक नई दिशा देने का घोषणा की.
व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ट्रंप ने इस एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर किए दस्तखत
व्हाइट हाउस में मीडिया की मौजूदगी में इस एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने इस पहल के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने दृढ़ता से कहा कि बाल कैंसर के इलाज और अनुसंधान के क्षेत्र में AI एक अत्यंत सहायक उपकरण साबित होगा. राष्ट्रपति ट्रंप ने इस निर्णय के पीछे की प्रेरणा को साझा किया. उन्होंने बताया कि ‘साल 2019 में उन्होंने अपने अधिकारियों को बचपन के कैंसर से संबंधित आंकड़े (डेटा) एकत्र करने का निर्देश दिया था. जब ये आंकड़े उनके सामने आए तो वह बहुत व्यथित हुए और उन्होंने देश से इस बीमारी के प्रकोप को कम करने के लिए तत्काल उपाय खोजने शुरू कर दिए.’
तैयार की गई रिपोर्ट में की गई थीं कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें
ट्रंप ने यह भी उल्लेख किया कि ‘स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर और MAHA आयोग शामिल थे. इनके द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें की गई थीं. इन्हीं सिफारिशों के आधार पर अब अमेरिकी सरकार बाल कैंसर अनुसंधान के लिए अपने निवेश को बढ़ा रही है.’ उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया है कि ‘इस शोध को सुपरचार्ज करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पूरा उपयोग किया जाए.’
AI का उपयोग, इलाज के नए और प्रभावी रास्ते खोलेगा
अमेरिका के स्वास्थ्य सचिव रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर ने इस आदेश के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ‘सरकार द्वारा बाल कैंसर अनुसंधान में बढ़ा हुआ निवेश और AI का उपयोग, इलाज के नए और प्रभावी रास्ते खोलेगा, जिससे बच्चों को इस बीमारी से मुक्त करने में बड़ी सफलता मिलेगी.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘राष्ट्रपति ट्रंप का यह आदेश कैंसर के उपचार के नए मार्ग प्रशस्त करने, पीड़ित परिवारों को सशक्त बनाने और देश के हर बच्चे को स्वस्थ और मजबूत बनने का अवसर देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है.’
करीब 4 लाख बच्चे और किशोर कैंसर से होते हैं प्रभावित
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ‘यह समस्या वैश्विक’ है. हर साल नवजात शिशुओं से लेकर 19 साल तक की उम्र के करीब 4 लाख बच्चे और किशोर कैंसर से प्रभावित होते हैं. बच्चों में आमतौर पर पाए जाने वाले कैंसर में ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर), ब्रेन ट्यूमर (मस्तिष्क में गांठ) और लिम्फोमा शामिल हैं. जबकि, न्यूरोब्लास्टोमा और विल्म्स ट्यूमर जैसे कुछ प्रकार के कैंसर जानलेवा साबित हो सकते हैं. राष्ट्रपति का यह कदम ऐसे जानलेवा रोगों से लड़ने की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
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