DRDO Hypersonic Missile : रक्षा तकनीक के क्षेत्र में भारत ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए दुनिया को चौंका दिया है. जानकारी के मुताबिक, रक्षा अनुसंधान (DRDO) ने ‘एक्सटेंडेड ट्रैजेक्टरी लॉन्ग ड्यूरेशन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (ET-LDHCM)’ का सफल परीक्षण किया है. बता दें कि यह मिसाइल अपनी ध्वनि की गति से आठ गुना तेज स्पीड से उड़ान भर सकती है. इसके साथ ही 1,500 किलोमीटर दूर तक दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सकती है.
ब्रह्मोस से भी कई ज्यादा शक्तिशाली ये मिसाइल
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान समय में मौजूद ब्रह्मोस, अग्नि और आकाश जैसे भारतीय मिसाइल सिस्टम से यह मिसाइल कहीं अधिक उन्नत और शक्तिशाली है. बता दें कि यह स्क्रैमजेट इंजन तकनीक से लैस है, जो बिना किसी पारंपरिक कंप्रेसर के वातावरण की ऑक्सीजन का उपयोग करता है और पारंपरिक व परमाणु हथियारों को 1,000 से 2,000 किलोग्राम तक ले जाने में सक्षम है.
ET-LDHCM की खासियत
जानकारी के मुताबिक, इस मिसाइल को जमीन, हवा और समुद्र, तीनों से लॉन्च किया जा सकता है. दुश्मनों के रडारों को चकमा देकर यह मिसाइल दिशा बदलने के साथ लक्ष्य तक पहुंचने की क्षमता रखती है. इसके साथ ही यह S-500 और आयरन डोम जैसे आधुनिक रक्षा कवच के लिए भी चुनौती बन जाती है.
बात दें कि इस मिसाइल के परीक्षण में सफलता प्राप्त करने के बाद भारत भी अब अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में शामिल हो गया है, जिनके पास स्वदेशी हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक है. भारत की यह सफलता रणनीतिक ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है और खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के जवाब में अहम माना जा रहा है.
घातक हथियारों के विकास पर विशेष जोर
बता दें कि भारत ने यह परीक्षण ऐसे वक्त में किया है, जब दुनिया भर में भू-राजनीतिक तनाव अपने चरम पर है. ऐसे में हालातों देखते हुए भारत अपनी रक्षा तैयारियों को नई ऊंचाई दे रहा है. विशेष रूप से तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ती सैन्य नजदीकी और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे के मद्देनज़र भारत ने ब्रह्मोस और आकाश जैसी मिसाइलों को उन्नत बनाने के साथ-साथ नई पीढ़ी के घातक हथियारों के विकास पर विशेष जोर दिया है.
इसे भी पढ़ें :- सिंधु जल समझौते में चीन की एंट्री! पाकिस्तान के मदद के लिए बनाया बड़ा प्लान