सिंधु जल समझौते में चीन की एंट्री! पाकिस्तान के मदद के लिए बनाया बड़ा प्लान

Indus Water Treaty : 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या के बाद भारत ने 1960 से लागू सिंधु जल संधि को स्थगित करने का निर्णय लिया. इस हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया और ऑपरेशन के जरिए पाकिस्तान व पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों पर हमला किया. ऐसे में पाकिस्तान की बौखलाहट की एक वजह यह भी है कि इस समझौते के तहत उसे भारत से तीन प्रमुख नदियों का पानी मिलता है. इसके साथ ही संधि का स्थगन इस सप्लाई पर सीधा असर डाल सकता है.

सीमा पर बहने वाली नदियों में कर सकता है हस्‍तक्षेप

भारत और पाकिस्‍तान के बीच चल रहे इस मुद्दे में चीन ने भी रुचि दिखाई है. मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि चीन सिंधु जल संधि में हस्तक्षेप कर सकता है, जो कि क्षेत्रीय तनाव को और भी बढ़ा सकता है. ऐसे में भारत को डर है कि चीन अपनी सीमा से भारत में बहने वाली नदियों का प्रवाह बाधित कर सकता है.

इस दौरान चीनी मीडिया ने भारत को ‘आक्रामक’ बताते हुए पानी को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की आशंका जताई है. इसके साथ ही चीन ने ये भी ऐलान करते हुए कहा कि वह सिंधु की सहायक नदी पर मोहमंद डैम प्रोजेक्ट में तेजी लाएगा और ऐसा करने से पाकिस्तान को फायदा होगा और भारत पर रणनीतिक दबाव बढ़ सकता है.

सिंधु जल संधि पाकिस्‍तान के लिए रही उदार

ऐेसे में इस मामले को लेकर भारत के कई विशेषज्ञों का कहना है कि सिंधु जल संधि की शर्तें पाकिस्तान के लिए जरूरत से ज्यादा उदार रही हैं. जानकारी के मुताबिक, लगभग 65% पाकिस्तान की आबादी सिंधु बेसिन में रहती है, जबकि भारत में यह संख्या महज 14% है. बता दें कि पाकिस्‍तान के खिलाफ भारत का ये कड़ा रूख पाकिस्तान को रणनीतिक रूप से असहज स्थिति में डाल दिया है.

पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आया चीन

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार चीन अब खुद को सिंधु जल संधि का एक अहम पक्षकार मानने लगा है. ऐसे में चीनी मीडिया का कहना है कि अगर भारत ‘पानी को हथियार’ की तरह इस्तेमाल करता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इसके साथ ही चीन ने यह भी ऐलान किया है कि वह पाकिस्तान में सिंधु की सहायक नदी पर मोहमंद हाइड्रो प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य में तेजी लाएगा. चीन का भारत के खिलाफ यह कदम एक कूटनीतिक संदेश भी माना जा रहा है.

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