दुश्मन पर बड़ा प्रहार, भारत के दावे पर FATF ने लगाई मुहर, राज्य प्रायोजित आतंकवाद को पाकिस्तान से मिल रही फंडिंग

Financial Action Task Force (FATF) : अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की रिपोर्ट ने पाकिस्तान के  राज्य प्रायोजित आतंकवाद की कलई खोल दी है. ऐसे में एफएटीएफ की रिपोर्ट से भारत का वह दावा और भी मजबूत हुआ है, जिसमें वह पाकिस्तान में सरकार और सेना द्वारा आतंकियों के भरण-पोषण का आरोप लगाता रहा है. इस दौरान पहली बार एफएटीएफ ने राज्य प्रायोजित आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देते हुए पाकिस्तान पर सख्त दृष्टि रखी है. इसके साथ ही पाकिस्‍तान की निगरानी और बढ़ा देने का निर्देश दिया है.

FATF ने चेतावनी देते हुए कहा..

जानकारी के मुताबिक, इस मामले को लेकर FATF ने चेतावनी दी और कहा, “कोई भी राज्य अगर आतंकी समूहों को धन या संसाधन उपलब्ध कराता है, तो यह उसके मानकों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन है’’. बता दें कि इस रिपोर्ट में पाकिस्तान मुख्‍य रूप से उल्लेखित है ऐसे में FATF रिपोर्ट का कहना है कि यह राज्य प्रायोजित आतंकी समूहों, जैसे लश्कर-ए-तैय्यबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) को धन उपलब्ध कराने का केंद्र बन गया है.

आतंकी गतिविधियों की हुई पहचान

2020 के करीब पाकिस्तान की सीमा पर चीन द्वारा भेजे गए मिसाइल उपकरणों की FATF द्वारा डुअल-यूज डिलीवरी के रूप में पहचान की गई थी.  जानकारी के मुताबिक, अप्रैल 2025 में पहलगाम हमले में हुए आतंकवादी हमले के पीछे पाक-अभियान सुनिश्चित करने वाले वित्तीय नेटवर्क का FATF ने हवाला दिया.

नकली NGO का दुरुपयोग

इस दौरान एफएटीएफ की रिपोर्ट हमें यह बताती है कि भारत-पाक सीमा से जुड़े समूहों के लिए नकली गैर-लाभकारी संगठनों का उपयोग कैसे हो रहा है.  इसके साथ ही JeM और LeT ने पूर्वी एशियाई देशों में नकली NPOs की स्थापना करके, मानवीय सहायता दान कार्यक्रमों का दुरुपयोग किया.

संसाधन उपलब्ध कराने की अपनाई जा रही रणनीति

ऐसे में मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि कुछ माल-आधारित लेनदेन के जरिये आतंकवादियों को संसाधन उपलब्ध कराने की रणनीति अपनाई जा रही है. इसमें कच्चे तेल को मध्यस्थ देश भेजकर और वहां पर सोने में परिवर्तित करके गंतव्य तक पहुंचाया जाना शामिल है. जानकारी के मुताबिक, पाकिस्‍तान की यह चलन वैश्विक वित्तीय पारदर्शिता को कमजोर करता है और हमें यह अवगत कराता है कि राज्य स्तर पर नीतिगत सहमति हो सकती है.

रोज़गारशुदा सिस्टमों की अक्षमता को किया उजागर

इस मामले को लेकर FATF का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय शांति और क्षेत्रीय स्थिरता को ख़तरा है. क्‍योंकि रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि आतंकवादी वित्तपोषण प्रतिबंध पद्धति को कमजोर करता है और FATF द्वारा अपनाए गए “डिटेक्ट, डिटर, डिसरप्ट” (DDDs) ढांचे को प्रभावित करता है.  ऐसे में यह वैश्विक प्रतिबंधों के इर्द‑गिर्द बना रोज़गारशुदा सिस्टमों की अक्षमता को उजागर करता है.

आतंकवाद के खिलाफ भारत के प्रयासों को सराहा

इस दौरान एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में  संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों की ओर से आतंकवाद के खिलाफ की गई कार्रवाई की सराहना की. जिसके अंतर्गत आंतरिक सुधारों-जैसे एंटी मनी लांड्रिंग और एंटी टेरर फाइनेंसिंग कानून को सराहा है.  इसके साथ ही FATF का कहना है कि स्थायी आतंक फंडिंग नेटवर्क अब भी सक्रिय हैं.

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