Delhi: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की. इस दौरान डॉ. एस. जयशंकर ने पीएम नरेंद्र मोदी का अभिवादन पहुंचाया और द्विपक्षीय एजेंडे के साथ- साथ यूक्रेन जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात कर उन्हे भारत आने का निमंत्रण दिया. विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 19 से 21 अगस्त तक रूस का दौरा किया.
आपसी हित के मामलों पर भी विचार- विमर्श
इस दौरान भारत-रूस अंतर- सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी- टीईसी) के 26वें सत्र की सह- अध्यक्षता की. दौरे में उन्होंने रूसी नेताओं, विद्वानों और उद्योग प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की. जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में कोई दिक्कत न हो. दोनों पक्षों ने आपसी हित के मामलों पर विचार- विमर्श किया, जिससे संबंधों को और मजबूती मिलेगी.
टैरिफ और गैर- टैरिफ व्यापार बाधाओं को हटाने की योजना
20 अगस्त को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने रूस के प्रथम उप- प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ आईआरआईजीसी- टीईसी के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता की. व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया. उन्होंने टैरिफ और गैर- टैरिफ व्यापार बाधाओं को हटाने, लॉजिस्टिक्स में सुधार, कनेक्टिविटी बढ़ाने, भुगतान प्रणाली को आसान बनाने और 2030 तक आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को लागू करने की योजना पर बात की.
व्यवसायों के बीच नियमित संपर्क बढ़ाने पर बनी सहमति
वहीं भारत- यूरेशियन आर्थिक संघ के मुक्त व्यापार समझौते को जल्द पूरा करने और दोनों देशों के व्यवसायों के बीच नियमित संपर्क बढ़ाने पर सहमति बनी. सत्र में ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने और भारतीय कुशल श्रमिकों और इंजीनियरिंग क्षेत्र पर भी चर्चा हुई. आईआरआईजीसी-टीईसी सत्र के बाद भारत- रूस व्यापार मंच में अधिकारियों, व्यवसायियों और उद्योग प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. विदेश मंत्री और मंटुरोव ने इसे संबोधित किया.
रूसी विदेश मंत्री से मुलाकात कर उन्हे भारत आने का दिया निमंत्रण
दोनों पक्षों ने व्यापार मंच और आईआरआईजीसी के कार्य समूहों के बीच समन्वय तंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था. 21 अगस्त को डॉ. जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने भारत- रूस संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा की. जिसमें व्यापार, रक्षा, सैन्य- तकनीकी सहयोग और कजान व येकातेरिनबर्ग में नए भारतीय वाणिज्य दूतावासों के उद्घाटन को तेज करना शामिल था. दोनों पक्षों ने अगले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर बातचीत की. विदेश मंत्री ने लावरोव को भारत आने का भी निमंत्रण दिया.
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