नाइजीरिया के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मदू बुहारी का निधन, PM Modi ने जताया दुख

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Muhammadu Buhari Passed Away: नाइजीरिया के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मदू बुहारी का रविवार को 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उनके निधन की खबर से नाइजीरिया में शोक की लहर दौड़ गई है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वैश्विक नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है.

पीएम मोदी ने जताया दुख

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दुख जताते हुए लिखा, “नाइजीरिया के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मदू बुहारी के निधन से अत्यंत दुखी हूं. मुझे विभिन्न अवसरों पर हुई हमारी मुलाकातें और बातचीत याद आती हैं. उनकी बुद्धिमत्ता, गर्मजोशी और भारत-नाइजीरिया मैत्री के प्रति अटूट प्रतिबद्धता अद्वितीय थी.” पीएम मोदी ने आगे लिखा, “मैं भारत के 1.4 अरब लोगों के साथ उनके परिवार, नाइजीरिया की जनता और सरकार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं.”

इलाज के दौरान हुआ निधन

साल 2015 से 2023 तक नाइजीरिया के राष्ट्रपति रहे बुहारी का रविवार को लंदन में इलाज के दौरान निधन हो गया. समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनुबू ने कहा कि उन्होंने उपराष्ट्रपति काशिम शेट्टिमा को बुहारी के पार्थिव शरीर को नाइजीरिया वापस लाने के लिए लंदन जाने का निर्देश दिया है. साथ ही, बोला टीनूबू ने दिवंगत पूर्व नाइजीरियाई नेता के सम्मान में झंडों को आधा झुकाने का आदेश दिया है.

2015 में लड़ा राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव

बता दें कि 17 दिसंबर, 1942 को जन्मे मुहम्मदू बुहारी का सैन्य और नागरिक शासन, दोनों में एक विशिष्ट करियर रहा. 2015 में राष्ट्रपति पद के लिए सफलतापूर्वक चुनाव लड़ने से पहले, वे कई वर्षों तक राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे और नाइजीरिया के इतिहास में किसी मौजूदा राष्ट्रपति को हराने वाले पहले विपक्षी उम्मीदवार बने. 2019 में उन्हें फिर से चुना गया और 29 मई, 2023 को उन्होंने टीनूबू को सत्ता सौंप दी. देश भर में आर्थिक मंदी और बढ़ती असुरक्षा के बीच, निवर्तमान राष्ट्रपति मुहम्मदू बुहारी ने दो कार्यकाल पूरे करने के बाद पद छोड़ दिया था और बोला टीनूबू राष्ट्रपति बने. राष्ट्रपति के रूप में अपने दो कार्यकालों के दौरान, मुहम्मदू बुहारी के प्रशासन ने तीन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया: सुरक्षा, भ्रष्टाचार विरोधी और आर्थिक विविधीकरण.

बोको हराम विद्रोह के खिलाफ चलाए अभियान

उन्होंने पूर्वोत्तर में बोको हराम विद्रोह के खिलाफ महत्वपूर्ण अभियान चलाए और लूटे गए सार्वजनिक धन को वापस पाने के लिए काम किया. उनके कार्यकाल में कृषि और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के प्रयास भी हुए, हालांकि यह दो मंदी सहित आर्थिक चुनौतियों और विभिन्न क्षेत्रों में लगातार सुरक्षा संबंधी मुद्दों से भी जूझता रहा.

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