France Politics: फ़्रांस के प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने नई कैबिनेट की नियुक्ति के कुछ ही घंटों बाद इस्तीफ़ा दे दिया है, जो राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इस अप्रत्याशित इस्तीफे ने एक बार फिर फ्रांस में गहराते राजनीतिक संकट को उजागर कर दिया है. बता दें कि पूर्व रक्षा मंत्री लेकोर्नू को पिछले महीने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने नियुक्त किया था.
एलिसी (फ्रांस के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास स्थल) के प्रेस कार्यालय ने कहा सेबेस्टियन लेकोर्नू ने अपनी सरकार का इस्तीफा गणराज्य के राष्ट्रपति को सौंप दिया है, जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिए गए है.
खुद के समर्थकों ने भी दी तीखी प्रतिक्रिया
बता दें कि इमैनुएल मैक्रों के करीबी सहयोगी लेकोर्नु ने राजनीतिक दलों के साथ हफ़्तों के विचार-विमर्श के बाद अपने मंत्रिमंडल का गठन किया और मंत्रिमंडल की पहली बैठक सोमवार को होनी थी. लेकिन इससे पहले ही मैक्रों की लगभग अपरिवर्तित मंत्रिमंडल घोषणा पर विपक्षी दलों और यहां तक कि उनके अपने समर्थकों की भी तीखी प्रतिक्रिया हुई.
नहीं बची कोई नई सरकार की वैधता
रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांसीसी सोशलिस्ट पार्टी के नेता ओलिवियर फॉरे, जिनकी पार्टी संसद में संभावित रूप से निर्णायक वोट हासिल करने की स्थिति में है. उन्होंने कहा कि मैक्रों का समूह बिखर रहा है और नई सरकार की कोई वैधता नहीं बची है. लेकोर्नु के इस्तीफे से पहले उन्होंने कहा कि हम एक अभूतपूर्व राजनीतिक संकट का सामना कर रहे हैं. फ्रांस राजनीतिक और आर्थिक संकट से जूझ रहा है, क्योंकि लेकोर्नू के दो पूर्ववर्ती, फ्रेंकोइस बायरू और मिशेल बार्नियर को व्यय योजना पर गतिरोध के कारण विधानमंडल द्वारा पद से हटा दिया गया था.
आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो फ्रांस का सार्वजनिक ऋण रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है और फ्रांस का ऋण-जीडीपी अनुपात अब ग्रीस और इटली के बाद यूरोपीय संघ में तीसरा सबसे अधिक है.
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