Gaza Peace Plan : काफी लंबे समय से चल रहे गाजा संघर्ष अभी तक शांत नही हुआ, लेकिन इसकी शांति के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘गाजा पीस प्लान’ पर कई देशों ने सहमति जताई है लेकिन पाकिस्तान अभी भी कंफ्यूज है. क्योंकि पाकिस्तान की लीडरशिप के समझ के परे है कि वो इस प्लान का समर्थन करे या फिर विरोध, अगर ऐसा न होता तो प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री इशाक डार के बयान अलग-अलग न होते. जानकारी के मुताबिक, ट्रंप के गाजा प्लान पर इशाक डार ने संसद में कहा था कि ये वो नहीं है, जिस पर 8 मुस्लिम देशों ने मिलकर मुहर लगाई थी, इसमें बदलाव किए गए हैं. इसके साथ ही डार के बयान के 24 घंटे बाद ही शहबाज शरीफ का बयान सामने आया, जिसमें वह इस प्लान की तारीफ करते हुए नजर आए.
ट्रंप समेत इन नेताओं का शहबाज ने जताया आभार
ऐसे में सोशल मीडिया के एक्स पर पोस्ट करते हुए शहबाज शरीफ ने कहा कि ‘अल्हम्दोलिल्लाह, हम सीजफायर के इतने करीब हैं, जितना कि फिलिस्तीनी लोगों पर इस नरसंहार के शुरू होने के बाद से हम कभी नहीं थे.’ इतना ही नही बल्कि उन्होंने शांति स्थापित करने के प्रयासों के लिए ट्रंप और कतर, सऊदी अरब के साथ इस प्रस्ताव पर सहमति जताने वाले सभी देशों के नेताओं को धन्यवाद दिया.
पाकिस्तान पीएम ने कहा
इस दौरान पाक पीएम का कहना है कि ‘हमास द्वारा जारी बयान युद्धविराम और शांति सुनिश्चित करने का एक रास्ता खोलता है और इसे हमें फिर से बंद नहीं होने देना चाहिए. उन्होंने कहा कि इंशाअल्लाह, पाकिस्तान फ़िलिस्तीन में स्थायी शांति के लिए अपने सभी सहयोगियों और भाईचारे वाले देशों के साथ मिलकर काम करता रहेगा.’
गाजा प्लान पर हमास ने कुछ शर्तों को किया स्वीकार
प्राप्त जानकारी के अनुसार हमास द्वारा ट्रंप की 20-सूत्रीय शांति योजना के कुछ हिस्सों को सशर्त स्वीकार करने के बाद शहबाज शरीफ का यह बयान आया. जिसका उद्देश्य लगभग दो साल से चल रहे संघर्ष को समाप्त करना है. इस मामले को लेकर हमास का कहना है कि वह 7 अक्टूबर, 2023 के हमले के दौरान बंधक बनाए गए लोगों को रिहा करने के साथ अन्य फ़िलिस्तीनी समूहों को सत्ता सौंपने को तैयार है.
इस मामले पर पाकिस्तान कर रहा विचार
इसके साथ ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि पाकिस्तान का मूल रुख अभी भी बदला नहीं है. उन्होंने कहा कि वह इजरायल को कभी मान्यता नहीं देगा और 1967 से पहले की सीमाओं पर स्थित एक फिलिस्तीनी राज्य का समर्थन करता रहेगा, इतना ह नही बल्कि उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की, कि इस योजना में अंतरराष्ट्रीय शांति सैनिकों की तैनाती की बात कही गई है. इसके बाद इस बात को लेकर पाकिस्तान विचार कर रहा है कि सैनिक भेजे जाएं या नहीं.
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