H-1B Visa Investigation : अमेरिकी सरकार ने एच-1बी वीजा कार्यक्रम के संभावित दुरुपयोग को लेकर कम से कम 175 कंपनियों की जांच शुरू कर दी है. जानकारी देते हुए बता दें कि यह वीजा योजना अमेरिकी कंपनियों को तकनीक और इंजीनियरिंग जैसे खास क्षेत्रों में विदेशी विशेषज्ञ कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देती है. इसे लेकर सरकार का कहना है कि यह कदम अमेरिकी नौकरियों की रक्षा की तुलना में स्थानीय कर्मचारियों को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से उठाया गया है. बता दें कि कुछ ही समय पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने नौकरी संरक्षण को लेकर कई बड़े फैसले लिए हैं.
‘प्रोजेक्ट फायरवॉल’
प्राप्त जानकारी के अनुसार सितंबर में श्रम विभाग ने ‘प्रोजेक्ट फायरवॉल’ शुरू किया था. इसका मकसद कंपनियों को कमी वेतन पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने से रोकना और साथ ही योग्य अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी मिले.
इस मामले को लेकर श्रम सचिव लोरी चावेज-डेरेमर का कहना है कि “हम एच-1बी वीजा के दुरुपयोग को रोकने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं. ऐसे में उनका कहना है कि पहली बार मैं खुद इन जांचों को प्रमाणित कर रही हूं ताकि अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा हो.”
कंपनियों पर कर्मचारियों को बदलने का आरोप
इसके साथ ही कुछ ही समय पहले श्रम विभाग ने सोशल मीडिया पर भी एक अभियान चलाया, बता दें कि इसमें कुछ कंपनियों पर युवा अमेरिकी कर्मचारियों को सस्ते विदेशी कर्मचारियों से बदलने का आरोप लगाया गया. बताया जा रहा है कि विशेष रूप से इस अभियान में भारत को एच-1बी वीजा का सबसे बड़ा लाभार्थी बताया गया. इससे यह स्पष्ट है कि अमेरिकी सपने को अमेरिकी कर्मचारियों से छीन लिया गया. इतना ही नही बल्कि इस वीजा का गलत इस्तेमाल करके नौकरियां विदेशी कर्मचारियों को दी गई हैं
अमेरिकी सरकार का अहम मकसद
इस मामले पर सरकार ने जोर देते हुए कहा कि वह कंपनियों को जवाबदेह ठहराएगी. इसके साथ ही अमेरिकी नागरिकों के लिए अमेरिकी सपने को बहाल करेगी. लेकिन अब यह नौकरी सुरक्षा और आप्रवासन सुधार पर बहस का मुख्य मुद्दा बन गया है.
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