Hurricane Melissa: तूफान मेलिसा के कारण क्यूबा, हैती और जमैका में तबाही मची हुई है. इस तूफान की वजह से यहां अब तक करीब 75 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि लगभग 50 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. इतना ही नहीं, एक सप्ताह पहले आए इस तूफान की वजह से सात लाख से अधिक लोग घर छोड़ने पर मजबूर हुए है. इसके अलावा, हजारों घरों, स्कूलों और अस्पतालों को नुकसान पहुंचा है.
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता फरहान हक ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र और उसकी अलग-अलग संस्थाएं इन देशों की सरकारों की मदद कर रही हैं. जमैका में राहत कार्यों को मजबूत करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता टीम ने अतिरिक्त कर्मचारियों को तैनात किया है. क्यूबा में खाद्य और कृषि संगठन किसानों को उपकरण, मवेशियों का चारा और मछली पकड़ने का सामान दे रहा है ताकि उनके काम फिर से शुरू हो सकें. वहीं विश्व खाद्य कार्यक्रम ने पूर्वी प्रांतों में मोबाइल गोदाम, लाइटिंग टावर और टेंट तैनात किए हैं.
मानवीय सहायता प्रदान कर रही एजेंसियां
फरहान हक के अनुसार, विभिन्न संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां पूरे क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानवीय सहायता प्रदान करने में सक्रिय रूप से लगी हुई हैं. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा पर ध्यान दे रहा है. वह स्वास्थ्य किट बांटने और लैंगिक हिंसा से बचाव व सहायता के लिए स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है.
इस तूफान से प्रभावित इलाकों में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम छत बनाने की सामग्री, औज़ार और बिजली के लिए जेनरेटर दे रहा है, ताकि लोग अपने घर और ढाँचे फिर से खड़े कर सकें. इसके साथ ही, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष 16 हजार लोगों को रोजाना साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए पानी संग्रह और शोधन सामग्री पहुंचा रहा है, जिससे बीमारियों को रोका जा सके और प्रभावित परिवारों की जीवन स्थितियां सुधर सकें.
एक-दूसरे से जुड़े तूफान की भयावहता और जलवायु संकट
वहीं, वैज्ञानिकों का मानना है कि मेलिसा जैसे तूफान की भयावहता और जलवायु संकट एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. अध्ययन के मुताबिक, भयानक तीव्रता वाले तूफान अब जलवायु परिवर्तन के कारण पहले की तुलना में पांच गुना अधिक आ रहे हैं.

