Bangladesh Illegal Immigration: बांग्लादेश में लंबे समय राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. इसी बीच बांग्लादेश में चीन के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि नई दिल्ली भारत के लोगों को विदेशी बताकर बिना प्रक्रिया के उनके देश में वापस भेज रहा है. हालांकि इस संबंध में बांग्लादेश, भारत को कूटनीतिक पत्र भी भेजने की तैयारी कर रहा है.
बता दें कि भारत ने 22 अप्रैल 2025 के जम्मू कश्मीर में पहलागम हमले के बाद देश में अवैध रूप से रह रहें पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों की जांच शुरू की थी और उन्हें उनके देश वापस भेजना सुनिश्चित किया. लेकिन बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन का कहना है कि भारत बिना प्रक्रिया के लोगों को सीमा पार भेज रहा है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि “हम नया पत्र भेजेंगे. हम जानते हैं कि ऐसा हो रहा है, लेकिन हम इसे रोक नहीं सकते.”
अवैध प्रवासियों को लेकर बोले तौहीद हुसैन…
मीडिया के मुताबिक, भारत ने बांग्लादेश को कुछ अवैध प्रवासियों की लिस्ट दी है, जिन्हें बांग्लादेशी माना जा रहा है. इस संबंध में तौहीद हुसैन ने बताया कि बांग्लादेश ने जांच के बाद कुछ अवैध प्रवासियों को स्वीकार भी किया है. हालांकि उन्होंने ये भी बताया है कि कांसुलर मुद्दों के लिए एक प्रक्रिया है और बांग्लादेश उसका पालन कर रहा है. भारत के साथ नियमित बातचीत हो रही है.
दिल्ली से 16 अवैध बांग्लादेशी गिरफ्तार
तौहीद हुसैन ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर भारत की ओर से कोई नया जवाब नहीं मिला है. ऐसे में यदि जरूरत पड़ी तो दूसरा पत्र भी भेजा जा सकता है. दरअसल, 2 जून को दिल्ली पुलिस की फॉरेनर्स सेल और स्पेशल स्टाफ की संयुक्त टीम ने शाहदरा के सीमापुरी इलाके में 16 अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था, जिसमें 4 पुरुष, 5 महिलाएं और 7 बच्चे शामिल है. बताया जा रहा है कि ये सभी गैरकानूनी तरीके से भारत में दाखिल हुए थे.
रात के अंधेरे में बांग्लादेशियों ने भारत में किया प्रवेश
हालांकि पूछताछ में पता चला कि पकड़े गए कई बांग्लादेशी नागरिक 18-19 साल पहले भारत आए थे. वहीं, कुछ लोग तो आर्थिक तंगी और रोजगार की कमी के कारण रात के अंधेरे में सीमा पार कर भारत में घुसे थें. खुफिया जानकारी के मुताबिक, सीमा पार करने के बाद वे पहले पश्चिम बंगाल के कूचबिहार पहुंचे, फिर ट्रेन से दिल्ली आए. इसके कुछ समय बाद वे हरियाणा के गांवों में चले गए, जहां उन्होंने ईंट भट्ठों पर मजदूरी शुरू की.
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