भारत से पंगा लेना पड़ोसी देश को पड़ सकता है महंगा, पाकिस्तान को कर्ज देने के बाद घबराया IMF, लगाई 11 नई शर्तें

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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IMF: पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति क्‍या है ये किसी से छिपी नहीं है. वहां खाने-पीने की सामान्य चीजों की भी मारा-मारी है और यही वजह है कि पाकिस्तान बार-बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सामने कर्ज की भीख मांगने चला जाता है. हालांकि इसी महीने पाकिस्तान को आईएमएफ से बड़ा कर्ज भी मिला है. लेकिन इसके साथ ही कई शर्तें भी आई हैं, जिन्होंने पाकिस्‍तान के आम लोगों की नींदें उड़ा दी हैं.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को अपने बेलआउट कार्यक्रम की अगली किस्त जारी करने से पहले ही 11 नई शर्तें लागू की हैं, जिनके पूरा होने पर ही पाकिस्तान को अगली किस्त मिलेगी. इसके अलावा IMF ने चेतावनी भी दी है कि भारत के साथ हाल ही में बढ़े तनाव, अगर और गहराए, तो इस योजना के वित्तीय और सुधार लक्ष्यों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है.

लागू की गई ये नई शर्तें

रिपोर्ट के मुताबिक, IMF द्वारा जारी स्टाफ-लेवल रिपोर्ट में निम्नलिखित शर्तों का उल्लेख किया गया है-

  • अगले वित्त वर्ष के लिए 17,600 अरब रुपये के संघीय बजट को संसद से पारित कराना अनिवार्य.
  • बिजली बिलों पर अधिभार में वृद्धि
  • उपभोक्ताओं पर पहले से अधिक ऋण पुनर्भुगतान शुल्क लागू होगा.
  • पुरानी कारों के आयात पर से प्रतिबंध हटाना.
  • चार संघीय इकाइयों द्वारा नया कृषि आयकर कानून लागू करना, जिसमें करदाता पहचान, रिटर्न प्रोसेसिंग, अनुपालन सुधार व संचार अभियान शामिल हैं.
  • समयसीमा को जून 2025 तक किया जाना.
  • भारत के साथ तनाव का आर्थिक सुधार कार्यक्रमों पर पड़ सकता है सीधा प्रभाव
  • IMF सिफारिशों के आधार पर संचालन सुधारों की कार्य योजना प्रकाशित करना.
  • 2027 के बाद की वित्तीय क्षेत्र की रणनीति तैयार कर उसे सार्वजनिक करना.
  • ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी चार अतिरिक्त शर्तें, जिनमें टैरिफ निर्धारण, वितरण सुधार और वित्तीय पारदर्शिता शामिल हैं.

पाकिस्‍तान पर 50 शर्ते लगा चुका है IMF

बता दें कि कुल मिलाकर IMF अब तक पाकिस्‍तान पर 50 शर्ते लगा चुका है. ये शर्तें केवल वित्तीय संतुलन ही नहीं, बल्कि संस्थागत पारदर्शिता और शासन सुधार की दिशा में भी गहन हस्तक्षेप को दर्शाती हैं. IMF ने ये भी चेताया है कि भारत-पाक तनाव की मौजूदा स्थिति, विशेषकर हालिया सैन्य गतिविधियों के मद्देनजर, पाकिस्तान की राजकोषीय स्थिति, बाह्य खातों (External Accounts) और आर्थिक सुधार कार्यक्रमों  पर सीधा असर पड़ सकता है.

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