India-Bangladesh : पिछले कुछ दिनों से भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव देखने को मिल रहा है. बता दें कि दोनों देशों के तनाव के बीच बांग्लादेश ने भारत से 50,000 टन चावल खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसे लेकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के वित्त सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद का कहना है कि उनकी सरकार आर्थिक हितों को राजनीति से अलग रखकर देख रही है. ऐसे में उनका कहना है कि अगर भारत से चावल वियतनाम या किसी अन्य देश की तुलना में सस्ता पड़ता है तो भारत से खरीदना ही समझदारी है. चलिए अब आपको बताते हैं कि बांग्लादेश में चावल के अलावा भारत की किन चीजों के डिमांड रहती है.
बांग्लादेश सरकार का दावा
प्राप्त जानकारी के अनुसार बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के वित्त सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद का कहना है कि दोनों देशों के रिश्ते 1971 के बाद सबसे निचले स्तर पर बताई जा रहे हैं. फिलहाल उन्होंने ये भी कहा कि हालत इतने खराब नहीं है कि व्यापार पूरी तरह ठप हो जाए. इसके साथ ही बांग्लादेश सरकार ने दावा करते हुए कहा कि वह भारत के साथ आर्थिक रिश्तों को बनाए रखने की दिशा में काम कर रहा है और साथ ही हालिया तनाव को स्थायी टकराव में बदलने का कोई विचार नही है.
चावल भेजने पर रोक लगाने की मांग
वहीं दूसरी तरफ भारत में चावल निर्यातकों के एक वर्ग ने बांग्लादेश को चावल भेजने पर रोक लगाने की मांग की है. जानकारी के मुताबिक, चट्टोग्राम में भारतीय सहायक उच्चायुक्त कार्यालय पर हुए हमले और भारत विरोधी घटनाओं के बाद निर्यातकों का कहना है कि मौजूदा हालात में शिपमेंट सुरक्षित नहीं है. ऐसे में कुछ निर्यातक जहां पूरी तरह प्रतिबंध की बात कर रहे हैं, वहीं कुछ का सुझाव है कि कम से कम कीमतें बढ़ाई जानी चाहिए.
बांग्लादेश की जरूरत का बड़ा हिस्सा भारत
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेश की रोजमर्रा की जरूरत का बड़ा हिस्सा भारत से पूरा होता है और इसकी सबसे बड़ी वजह भूगोल है. बांग्लादेश की करीब 94 फीसदी सीमा भारत से लगती है, जिसकी वजह से सस्ती और तेज सप्लाई संभव हो पाती है. इसी वजह से बांग्लादेश को अक्सर इंडिया लॉक्ड देश भी कहा जाता है.
चावल के साथ इन चीजों का भी बड़ा आयात
बता दें कि बांग्लादेश भारत से चावल के साथ गेहूं, चीनी, प्याज, आलू, लहसुन, मसाले, फल, सब्जियां और दवाइयां भी बड़े पैमाने पर आयात करता है. इसके साथ ही कपड़ा उद्योग भी भारतीय कपास और धागो पर काफी हद तक निर्भर है. जिससे वहां का रेडीमेड गारमेंट सेक्टर चलता है. इतना ही नही बल्कि ऊर्जा जरूरत के लिए भी बांग्लादेश भारत से रिफाइंड पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स मांगता है. दवाइयां और मेडिकल सप्लाई में भी भारत बांग्लादेश का बड़ा सहारा है. ऐसे में अगर इन सप्लाई पर असर पड़ता है तो बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था, महंगाई और रोजगार पर सीधा दबाव बन सकता है.
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