Putin Praises PM Modi: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने दो दिवसीय यात्रा को लेकर गुरुवार को भारत पहुंचे. इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत में ही जीते और सांस लेते हैं. वे अपने काम के प्रति बहुत ज्यादा समर्पित हैं. इंडिया टुडे को दिये एक इंटरव्यू में पीएम मोदी के बारे में पूछे जाने पर रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि पीएम मोदी और हमारे बीच भरोसे और मित्रता का संबंध है. वो एक विश्वसनीय व्यक्ति हैं. इस वजह से मैं बहुत ईमानदारी से कहना चाहूंगा कि भारत बहुत भाग्यशाली है कि उनके पास पीएम मोदी जैसा नेता है. वो भारत में ही रहते हैं और सांस लेते हैं.
रूसी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को एक ईमानदार व्यक्ति बताया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से बात करना उनके लिए बहुत खुशी की बात है. बता दें कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे पर आर्थिक सहयोग, सुरक्षा और टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों को लेकर बड़ी डील होने की संभावना है. जिसे लेकर पुतिन ने कहा, वो भारत और रूस के बीच आर्थिक सहयोग, रक्षा, लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और मानवीय जुड़ाव से संबंधित क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उनसे मिलने के लिए मैं बेहद उत्सुक हूं.
8 दशक पुरानी दोस्ती को मजबूत करना मकसद
रूसी राष्ट्रपति पीएम मोदी के निमंत्रण पर दो दिवसीय यात्रा के लिए नई दिल्ली पहुंचे हैं, जहाँ उनकी शीर्ष प्राथमिकता आठ दशक पुरानी भारत-रूस मित्रता को और मजबूत करना है. हाल के वर्षों में वैश्विक भू-राजनीतिक उतार-चढ़ाव से रूस की स्थिति प्रभावित हुई है, इसके बावजूद भारत और रूस के रिश्ते लगातार स्थिर और भरोसेमंद बने रहे हैं.
इंसानों जैसी रही थी पिछली बातचीत
पीएम मोदी की पिछली रूस यात्रा को याद करते हुए इंडिया टुडे से रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि पिछली बार हम दोने के बीच बेहद दिलचस्प बातचीत हुई थी. वो यहां आए थे और हम मेरे आवास पर बैठे. हमने शाम की चाय पी और कई विषयों पर चर्चा की. हमारी बातचीत काफी दिलचस्प और इंसानों जैसी रही.
इससे पहले दोनों नेता लगभग तीन महीने पहले चीन में हुए SCO शिखर सम्मेलन के दौरान मिले थे। उस समय रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को अपनी कार में साथ बैठाया और दोनों एक साथ रवाना हुए, जिसने वैश्विक स्तर पर व्यापक ध्यान आकर्षित किया. यह क्षण इसलिए भी खास था, क्योंकि उस दौर में भारत और रूस भू-राजनीतिक परिस्थितियों और अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ जैसी चुनौतियों के कारण भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रहे थे.